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भारतीय शिक्षक ने जीते 7 करोड़ रुपये, लेकिन इस काम के लिए एक झटके में बांट दी 3.5 करोड़ की रकम

सोचिए, आपको करोड़ों की रकम मिल जाए तो आप क्या करेंगे? हो सकता है हम में से ज्यादातर अपनी सुविधाओं की...
भारतीय शिक्षक ने जीते 7 करोड़ रुपये, लेकिन इस काम के लिए एक झटके में बांट दी 3.5 करोड़ की रकम

सोचिए, आपको करोड़ों की रकम मिल जाए तो आप क्या करेंगे? हो सकता है हम में से ज्यादातर अपनी सुविधाओं की पूर्ति के लिए यह रकम खर्च कर देंगे मगर एक शिक्षक ने ऐसा नहीं किया। शिक्षक रणजीत सिंह डिसले को बच्चियों के लिए शिक्षा को बेहतर करने में भूमिका निभाने के लिए 'ग्लोबल टीचर प्राइज़' से सम्मानित किया गया है। उन्होंने पुरस्कार मिलते ही यह ऐलान कर दिया कि वो 10 लाख डॉलर (7.38 करोड़) की पुरस्कार राशि में से आधी उप-विजेताओं के साथ बांटेंगे।

इस पुरस्कार की घोषणा एक ऑनलाइन सेरेमनी में अभिनेता स्टीफ़न फ़्राई ने की। बीबीसी हिंदी के मुताबिक, महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के परितेवाडी के एक ज़िला परिषद प्राइमरी स्कूल में रणजीत शिक्षक हैं। इस पुरस्कार के लिए उनके साथ 12,000 और शिक्षकों के नामांकन थे। 32 साल के डिसले ने कहा, "इस मुश्किल वक़्त में शिक्षक हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि हर बच्चे को उसका शिक्षा का जन्म सिद्ध अधिकार मिले।"

डिसले ने कहा कि शिक्षक 'हमेशा देने और बांटने में विश्वास करते हैं' और इसीलिए उन्होंने अपने पुरस्कार की आधी रक़म को उन शिक्षकों में बांटने का निर्णय लिया है जिन्होंने इस पुरस्कार के लिए शीर्ष-10 में जगह बनाई थी।

पुरस्कार की रक़म को बांटने का अर्थ है कि पुरस्कार की रक़म का 40-40 हज़ार पाउंड (तक़रीबन 39-39 लाख रुपये) इटली, ब्राज़ील, वियतनाम, मलेशिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ़्रीका, दक्षिण कोरिया, अमेरिका के उप-विजेताओं सहित ब्रिटेन के जेमी फ़्रॉस्ट के पास भी जाएंगे।

इस पुरस्कार के लिए जजों ने पाया कि डिसले ने यह सुनिश्चित किया कि लड़कियां स्कूल आ सकें और बाल विवाह का सामना न करें। इसके साथ-साथ लड़कियों को अच्छे नतीजे दिलाने में उन्होंने मेहनत की। इसके अलावा वे 83 देशों में ऑनलाइन विज्ञान पढ़ाते हैं और एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना चलाते हैं जिसमें संघर्ष क्षेत्र के युवा शिक्षा के लिए साथ जुड़ सकें।

इस प्रतियोगिता के सहयोगी यूनेस्को की सहायक महानिदेशक स्टेफ़ानिया जियानिनी ने कहा, "पूरी दुनिया में कोविड महामारी ने शिक्षा प्रणाली को एक गंभीर झटका दिया है। मगर ऐसे मुश्किल वक़्त में भी शिक्षकों का योगदान बहुत प्रभाव डाल रहा है।"

बता दें कि इस पुरस्कार को वार्के फ़ाउंडेशन आयोजित करता है  इसके संस्थापक सनी वार्के ने कहा कि 'इस पुरस्कार को बांटकर आप दुनिया को देने का मतलब समझाते हैं।'


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