केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार को स्पष्ट किया कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की आवाजाही के लिए जो छूट दी गई है, वह केवल संकटग्रस्त प्रवासी कामगारों के लिए उपलब्ध है।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि गृह मंत्रालय ने ऐसे फंसे व्यक्तियों की आवाजाही की अनुमति दी है, जो लॉकडाउन की अवधि से ठीक पहले अपने मूल स्थानों या कार्यस्थलों से चले गए थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से अपने मूल स्थानों या कार्यस्थल पर नहीं लौट सके।
उन्होंने कहा, "आदेशों में उपलब्ध सुविधा ऐसे व्यथित प्रवासी मजदूरों के लिए है। लेकिन यह सुविधा उन श्रेणियों के व्यक्तियों के लिए नहीं है जो सामान्य रूप से निवास कर रहे हैं और काम के उद्देश्य से मूल स्थानों के अलावा अन्य स्थान जाना चाहते हैं। या सामान्य रूप से अपने मूल स्थान जाना चाहते हैं।"
कई राज्यों में फंसे हैं मजदूर
देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन के कारण कई लाख प्रवासी कामगार फंसे हुए हैं। लिहाजा गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को कुछ शर्तों के साथ ट्रेनों और बसों के माध्यम से उनकी आवाजाही को अनुमति दी। जिसमें राज्यों को भेजने और लाने के साथ साथ सामाजिक दूरी जैसे मानदंडों के रखरखाव की सहमति शामिल है। कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 मार्च को 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इसे 3 मई तक और फिर 17 मई तक बढ़ाया गया।
प्रभावी दूसरी रक्षा पंक्ति तैयार करें राज्य: केंद्र
वहीं बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के कोविड-19 से संक्रमित होने से चिंतित केंद्र ने राज्यों को सुझाव दिया है कि वे इस खतरनाक वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रभावी दूसरी रक्षा पंक्ति तैयार करें। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में कहा कि पुलिस प्रमुख उन कर्मियों के लिए ‘घर से काम करने’ के विकल्प पर विचार कर सकते हैं जो अग्रिम मोर्चे पर तैनात नहीं हैं। गृह मंत्रालय ने कहा, ‘‘कोविड-19 की चुनौती से निपटने और कोविड-19 को नियंत्रित करने की रणनीति जारी रखना सुनिश्चित करने के वास्ते पुलिस बलों को उन पुलिस कर्मियों के लिए एक प्रभावी दूसरी रक्षा पंक्ति तैयार करने की जरूरत है जो महामारी के दौरान कोविड-19 संक्रमण से प्रभावित हो सकते हैं।’’