न्यायमूर्ति केके मंडल की एकल पीठ ने गंगा मिश्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूरे मामले का अवलोकन किया और पाया कि छेदी पासवान ने चुनाव के दौरान अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।
फैसले के बाद पासवान ने हालांकि कहा है कि वह फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उनका कहना है कि 2006 में वह दुर्गावती परियोजना को लेकर धरनेे पर बैठेे थे। इसी मामले में प्रकरण दर्ज हुआ था। यह जनहित का मामला था, आपराधिक मामला नहीं।
छेदी पासवान 2000 से 2004 तक बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। तब वह लालू यादव की पार्टी राजद में थे। 2005 में वह जद यू में आ गए थे। नीतीश कुमार ने भी उन्हें अपनी सरकार में 2008 से 2010 से बीच मंत्री रखा। 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले छेदी पासवान ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और भाजपा के हो गए।
छेदी पासवान ने 2014 में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया था। पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में छेदी पासवान ने अपने बेटे रवि पासवान को भाजपा से टिकट दिलाने की कोशिश की थी। जब इसमें कामयाब नहीं हुए तो आरोप-प्रत्यारोप भी लगाया था।