त्रिपुरा में वकीलों, पत्रकारों और एक्टिविस्टों के विरुद्ध यूएपीए लगाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले पर शीर्ष अदालत जल्द ही सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है। कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में यूएपीए की एफआईआर को चुनौती दी गई है। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा कि वो सुनवाई के लिए एक तारीख देंगे।
एनडीटीवी के अनुसार, वकील प्रशांत भूषण ने सीजेआई से इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है। सीजेआई ने कहा कि आप इस मामले को लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते? इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि हमने इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां ( यूएपीए) कानून को भी चुनौती दी है। इस पर सीजेआई ने कहा कि वो जल्द सुनवाई की एक तारीख देंगे।
गौरतलब है कि त्रिपुरा पुलिस ने वकीलों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों और कई सोशल मीडिया यूजर्स के विरुद्ध यूएपीए, आपराधिक साजिश और जालसाजी के आरोपों के तहत मामले दर्ज किए हैं। इसके साथ ही ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को ऐसे अकाउंट को फ्रीज करने और खाताधारकों की सभी जानकारी देने के लिए नोटिस दिया गया है।
बता दें कि अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान और बाद में बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा का कई समूहों ने रैलियां निकालकर विरोध किया था। इन रैलियों के दौरान घरों, दुकानों और कुछ मस्जिदों में कथित तोड़फोड़ के मामले सामने आए थे। इन घटनाओं पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखने पर उनके विरुद्ध मामले दर्ज किए गए हैं।