सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषी विनय कुमार शर्मा की याचिका खारिज कर दी। याचिका में दोषी ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा दया याचिका खारिज करने को चुनौती दी। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद विनय को फांसी का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि विनय मानसिक रूप से स्वस्थ है और उसकी मेडिकल स्थिति स्थिर है।
इससे पहले गुरुवार को न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की बेंच ने विनय शर्मा की याचिका पर करीब 2 घंटे तक सुनवाई के बाद कहा था कि इस पर शुक्रवार को दोपहर दो बजे आदेश सुनाया जायेगा।
निर्भया गैंगरेप मामले में चार मौत की सजा पाने वालों में से एक विनय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा उनकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी। 1 फरवरी को, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मामले में विनय शर्मा की दया याचिका को खारिज कर दिया था। दोषियों अक्षय ठाकुर और मुकेश सिंह की दया याचिका भी खारिज कर दी गई है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस आर बानुमति हुईं बेहोश
निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की केंद्र सरकार की याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस आर भानुमति बेहोश हो गईं। इसके बाद सुनवाई स्थगित करते हुए आनन-फानन में उन्हें उनके चेंबर में ले जाया गया। कहा गया है कि मामले में फैसला बाद में जारी किया जाएगा। जस्टिस भानुमति की तबियत खराब होने के बारे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि, जस्टिस आर. भानुमति जब सुनवाई कर रही थीं तो उन्हें तेज बुखार था और उन्हें अब भी तेज बुखार है। चेंबर में डॉक्टर उनका परीक्षण कर रहे हैं। इन दिनों उनका इलाज चल रहा है और सुनवाई करते वक्त भी वो बुखार में थीं। हालांकि अब उन्हें होश आ चुका है और डॉक्टरों की निगरानी में हैं।
दोषी ने दी थी ये दलील
विनय ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि जेल में ‘कथित यातनाओं और दुर्व्यवहार’ के कारण वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गया। शर्मा के वकील ए पी सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति ने विद्वेषपूर्ण तरीके से उनके मुवक्किल की दया याचिका खारिज की है क्योंकि इस मामले से सबंधित सारा रिकार्ड उनके समक्ष नहीं रखा गया था। उन्होंने कहा कि जेल में विनय को यातनाएं दी गयीं और उसे एकांत कोठरी में रखा गया और जेल में हुये अवसाद के कारण वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गया है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि जेल में प्राधिकारियों ने उसके मौलिक अधिकारों का हनन किया और उसे गैरकानूनी तरीके से अलग रखा गया। याचिका में कहा गया है कि जेल में मानसिक रूप से अस्वस्थता मृत्यु दंड को उम्र कैद में तब्दील करने का एक आधार है।
सरकार ने किया था दलीलों का विरोध
केन्द्र और दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सिंह की दलीलों का विरोध किया और कहा कि राष्ट्रपति ने सारे संबंधित रिकार्ड का अवलोकन किया था। उन्होंने कहा था कि विनय की दया याचिका खारिज किये जाने में कानून के तहत सारी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। मेहता ने विनय शर्मा की 12 फरवरी की मेडिकल रिपोर्ट बेंच के सामने पेश की और कहा कि उसे पूरी तरह स्वस्थ पाया गया है। सिंह का आरोप था कि दिल्ली के उपराज्यपाल और गृह मंत्री ने उसकी दया याचिका खारिज करने की सिफारिश पर दस्तखत नहीं किये थे। पीठ ने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश का अवलोकन करने का सिंह का अनुरोध ठुकरा दिया। पीठ ने रिकार्ड का अवलोकन किया और कहा कि उन्होंने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश पर हस्ताक्षर किये हैं।राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किये जाने के बाद विनय ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
31 जनवरी को अगले आदेश तक लगी थी फांसी पर रोक
निचली अदालत ने 31 जनवरी को अगले आदेश तक के लिये चारों दोषियों-मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार को फांसी देने पर रोक लगा दी थी। ये चारों दोषी इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं। निर्भया से 16-17 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में 6 व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गयी थी। इन छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी किशोर था जिसे तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया।