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संथारा को गैरकानूनी बताने वाले फैसले पर रोक

जैन समुदाय की धार्मिक प्रथा संथारा को गैरकानूनी करार देने के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।
संथारा को गैरकानूनी बताने वाले फैसले पर रोक

 जैन समुदाय में संथारा का प्रचलन है जिसमें मृत्यु के लिए अन्न जल का त्याग कर दिया जाता है। चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस अमिताव राय की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए राजस्थान तथा अन्य को नोटिस जारी किए हैं।

जैन समुदाय के विभिन्न धार्मिक निकायों ने संथारा पर हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेश के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की थीं। पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। जैन समुदाय के लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक का आग्रह करते हुए दावा किया था कि इसे जैन धर्म के आधारभूत दर्शन एवं सिद्धांतों पर विचार किए बिना जारी किया गया।

गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने दस अगस्त को संथारा को गैरकानूनी बताते हुए इसे भारतीय दंड विधान की धारा 306 और 309 के तहत दंडनीय बना दिया था। ये धाराएं आत्महत्या के लिए उकसाने से संंबंधित हैं। याचिकाओं में दावा किया गया था कि हाईकोर्ट ने धार्मिक मान्‍यता और आत्महत्या के अपराध को बराबर ठहरा कर भूल की है। 

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