सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं के लिए आधार कार्ड को लिंक कराने की अनिवार्यता पर अंतिम फैसला कल तक के लिए रिजर्व कर लिया है। हालाकि सरकार ने इसकी तारीख 31 मार्च के लिए बढ़ा दी है।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आधार को सिर्फ 6 योजनाओं से लिंक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने इसे 139 से भी ज्यादा सेवाओं के लिए जरूरी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार से योजनाओं को लिंक करना आम आदमी की स्वेच्छा पर निर्भर करता है, लेकिन सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि आधार योजनाओं को चुनौती जेने वाली सभी याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई अगले साल 17 जनवरी को होगी। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार 31 मार्च तक तारीख बढ़ा चुकी है ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा सके। साथ ही नए खातों के लिए आधार को अनिवार्य किया जाए। खंडपीठ में शामिल जस्टिस सी के सीकरी, ए एम खनवीलकर, डी वाई चंद्रचूढ और अशोक भूषण मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
सरकार ने बुधवार को अधिसूचना जारी कर बैंक में आधार और पैन (स्थायी खाता नंबर) को अनिवार्य करने की तारीख बढ़ाकर 31 मार्च कर दी है। हालांकि फिलहाल मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से लिंक करने की तारीख आगे नहीं बढ़ाई गई है। इसके लिए फिलहाल 6 फरवरी तक का ही समय है । अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मोबाइल सेवाओं की तारीख कोर्ट के निदेर्शों से तय है और इसे बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है। मालूम हो कि आधार कार्ड को बैंक खातों समेत अन्य योजनाओं के लिए अनिवार्य करने के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दर्ज की गई हैं। इनमें से कई याचिकाओं में कहा गया है कि आधार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए।