कांग्रेस ने मांग की कि स्वीडन की एक कंपनी द्वारा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से संबंधित इकाई को लक्जरी बस दिए जाने से जुड़े आरोपों की न्यायिक जांच होनी चाहिए। हालांकि गडकरी के कार्यालय ने इन आरोपों को ‘शरारतपूर्ण, मनगढंत और आधारहीन‘ करार दिया है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘बस अनुबंध से जुड़ा घोटाला एक चिंता का विषय है और सार्वजनिक जीवन में शुचिता की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर ‘खामोश’ हैं। वह इसके बारे में बात भी नहीं करना चाहते।’ उन्होंने कहा, ‘हम इस मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हैं और आशा करते हैं कि सरकार इस पर संज्ञान लेगी तथा अपने पहले के कई घोटालों की तरह इस पर पर्दा नहीं डालेगी।’
कांग्रेस नेता ने कुछ तस्वीरें भी जारी कर दावा किया कि इन तस्वीरों में स्वीडिश कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित के कई लोग नितिन गडकरी के साथ दिखाई दे रहे हैं। उधर, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘स्कैनिया बस से जुड़ा पूरा प्रकरण स्वीडिश कंपनी का आंतरिक मामला है। स्कैनिया के प्रवक्ता ने बयान जारी कर यह साफ किया है कि श्री गडकरी और उनके परिवार के सदस्यों का किसी बस की खरीद या बिक्री से कोई लेनादेना नहीं है।’
गौरतलब है कि फोक्सवागन समूह की कंपनी स्केनिया पर आरोप लगे हैं कि उसने भारत में बसों के ठेके हासिल करने के लिए अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत दी। जर्मनी में एजेंसियों ने इन आरोपों की प्राथमिक जांच शुरू कर दी है।
स्केनिया फोक्सवागन समूह की सहायक कंपनी है और इसका मुख्यालय स्वीडन में है। कंपनी के विरुद्ध इन आरोपों का खुलासा स्वीडन के एक टीवी चैनल ने किया। चैनल के एक कार्यक्रम में दिखाया गया कि कंपनी ने 2013 से 2016 के बीच ठेके हासिल करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत दी। चैनल ने बताया कि ईमेल, टेक्स्ट मेसेज, कागजातों और कुछ लोगों के बयानों में इन आरोपों के सबूत मिले हैं।