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अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज से आखिरी दौर की सुनवाई, जिले में लगी धारा 144

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सोमवार यानी आज से अंतिम दौर की...
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज से आखिरी दौर की सुनवाई, जिले में लगी धारा 144

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सोमवार यानी आज से अंतिम दौर की सुनवाई शुरू हो गई है। इसके मद्देनजर प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए अयोध्या में धारा 144 लागू कर दी है। जिलाधिकारी के निर्देश के अनुसार अयोध्या में 10 दिसंबर तक धारा 144 लागू रहेगी।

अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने कहा, आगामी धार्मिक त्यौहारों और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए धारा-144 लागू की गई है। हालांकि अयोध्या में 24 से लेकर 26 अक्टूबर तक दीपोत्सव का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा। इस त्यौहार पर धारा-144 का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम चरण की दलीलों के लिए कार्यक्रम निर्धारित करते हुए कहा था कि मुस्लिम पक्ष 14 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी करेंगे और इसके बाद हिंदू पक्षकारों को 16 अक्टूबर तक दो दिन का वक्त दिया जाएगा। इसके बाद 17 नवंबर को फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है। इसी दिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं।

38वें दिन इस मामले की सुनवाई

14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 38वें दिन इस मामले की सुनवाई शुरू हुई। पीठ के सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर शामिल हैं। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। पीठ ने इस मामले में कोर्ट की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा की समीक्षा की थी और इसके लिए 17 अक्टूबर की सीमा तय की है।

क्या है मामला?

2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का निर्णय दिया था। जिसमें रामलला विराजमान पक्ष, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक-एक तिहाई हिस्सा मिला था। लेकिन कोई भी पक्ष इस फैसले से संतुष्ट नहीं हुआ। सबने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की। दूसरी ओर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। बाद में कई और पक्षों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. जिसपर अब सुनवाई हो रही है।

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