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गाजीपुर बॉर्डर में फिर बढ़ी पुलिस की तैनाती, टिकैत को मिला केजरीवाल से लेकर जयंत चौधरी तक का समर्थन

भारतीय किसान यूनियन के नेता और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत के आंसू काम कर गए,...
गाजीपुर बॉर्डर में फिर बढ़ी पुलिस की तैनाती, टिकैत को मिला केजरीवाल से लेकर जयंत चौधरी तक का समर्थन

भारतीय किसान यूनियन के नेता और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत के आंसू काम कर गए, उनकी अपील के बाद किसानों का हुजूम गाजीपुर पर एक बार फिर जमा हो गया। गाजीपुर बॉर्डर पर शुक्रवार सुबह एक बार फिर आंदोलनकारियों की चहल कदमी बढ़ती भी नजर आने लगी है। हालांकि एक बार फिर प्रसाशन ने यहां की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। वहीं रालोद नेता जयंत चौधरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी टिकैत के समर्थन में उतर आए हैं। केजरीवाल ने अपनी पार्टी के कई नेताओं को गाजीपुर बॉर्डर भेजा है।


गाजीपुर बॉर्डर में कल रात से ही अलग अलग इलाकों से किसान जमा हो रहे हैं। लिहाजा आज फिर पुलिस जवानों की सघन तैनाती कर दी गई है। हालांकि यूपी के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि गाज़ीपुर बॉर्डर पर कल और आज सुरक्षा व्यवस्था इसलिए बढ़ाई गई ताकि इस दौरान ऐसे लोग न घुस जाए जिससे वहां हिंसा फैले। आज पूरे उत्तर प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी है और किसानों से लगातार वार्ता चल रही है।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा कि राकेश जी, हम पूरी तरह से किसानों के साथ हैं। आपकी मांगें वाजिब हैं।किसानों के आंदोलन को बदनाम करना, किसानों को देशद्रोही कहना और इतने दिनों से शांति से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं पर झूठे केस करना सरासर गलत है।

गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे दिल्ली के डिप्टी सीएम,मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुझे केजरीवाल जी ने यहां भेजा है,कल रात आपकी बात हुई। उसके बाद उन्होंने यहां पर पानी के टैंकर और अन्य व्यवस्था कराई। उन्होंने मुझे यहां निरीक्षण करने को कहा था,उन्होंने ये भी कहा है कि और भी कोई जरूरत हो तो दिल्ली सरकार आपके सेवा के लिए तैयार है।

राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी शुक्रवार सुबह बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत और अन्य किसानों से मिलने के लिए धरना स्थल पर पहुंचे। इस दौरान जयंत चौधरी ने कहा कि सरकार को किसानों की आवाज सुननी चाहिए और उनकी मांगें माननी चाहिए। आज संसद के बजट सत्र का पहला दिन है और ये मुद्दा संसद के अंदर भी उठना चाहिए। अगर सरकार पीछे हटती है तो इससे उनकी कमजोरी नहीं झलकेगी। प्रधानमंत्री सब विषयों पर बोलते हैं, किसान के बारे में भी बोल दें। 

दूसरी ओर दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन और दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने सिंघु बाॅर्डर जाकर किसानों के लिए की गईं व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया। राघव चड्ढा ने बताया, "आज भाजपा की सरकार अन्नदाता तक बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंचने दे रही है। दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि हमारे पानी के टैंकर रात से यहां खड़े हैं, टैंकर को पुलिस अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। पुलिस ने कहा कि उन्हें ऊपर से आदेश मिले हैं। ये बीजेपी के आदेशों पर काम कर रहे हैं, बीजेपी नेता के लोग किसानों के साथ अपना बदला ले रहे हैं।

बता दें कि गत 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर हुई हिंसक घटनाओं के बाद किसानों का मनोबल टूट गया था कई किसान पुलिस की प्राथमिकी के बाद गिरफ्तारी के डर से अपने-अपने स्थानों पर वापस लौटने लगे थे इसी बात का फायदा उठाकर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी किसानों को खदेड़ने की योजना पर काम शुरू कर दिया। गुरुवार सुबह से ही गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस का जमावड़ा यकायक बढ़ गया। इस दौरान पुलिस ने कई बार फ्लैग मार्च भी निकाला और किसानों को हल्के बल के साथ खदेड़ने का प्रयास भी किया। जिला प्रशासन ने किसानों को सीमा क्षेत्र खाली करने के लिए नोटिस भी दे दिया था इसके बाद कुछ पुलिसकर्मी राकेश टिकैत को मंच से हटाने के लिए पहुंच गए।

हालांकि इससे पूर्व किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत आंदोलन को समाप्त किए जाने की सहमति व्यक्त कर चुके थे। लेकिन मंच पर पहुंची पुलिस और बलपूर्वक हटाने के प्रयास के बाद राकेश टिकैत के आंसू ने सारी बाजी पलट दी। टिकट के आंसू के बाद किसान यूनियन ने आंदोलन समाप्ति की सहमति को वापस लेकर इसे जारी रखने की घोषणा कर दी रातों रात पश्चिमी उत्तर प्रदेश कई के कई जनपदों से ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसान नेता गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच गए। सुबह होते होते हजारों की संख्या में ट्रैक्टरों का रेला गाजीपुर पर जमा हो गया। आंदोलन स्थल पर मौजूद उन लोगों का कहना है कि उनके नेता के आंसू जाया नहीं जाएंगे। गाजीपुर बॉर्डर पर देर रात पहुंचे किसानों का हुजूम खुले आसमान के नीचे सोने पर विवश रहा। यहां तक की कई किसान नेता मंच के सामने ही बिस्तर लगा कर लेटे हुए नजर आए।

इससे पूर्व बुधवार की शाम से ही जिला प्रशासन ने गाजीपुर बॉर्डर पर लगाए गए सार्वजनिक चलते-फिरते शौचालय पानी की आपूर्ति एवं अन्य सुविधाएं हटा ली थी। इस घटना के बाद जिला प्रशासन के अधिकारी अभी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है उनका केवल इतना ही कहना है की वह स्थिति का जायजा लेकर सरकार को सूचित करने का काम कर रहे हैं।

 

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