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किसी लिंग नहीं, बल्कि मानसिकता के खिलाफ जंग है नारीवाद: शाजिया इल्मी

राजनीतिक कार्यकर्ता शाजिया इल्मी ने कहा कि पितृसत्तात्मकता एक मानसिकता है और नारीवाद इसी मानसिकता के खिलाफ लड़ाई है और यह किसी विशेष लिंग तक सीमित नहीं है। शाजिया ने बी बोल्ड फाॅर ए चेंज शीर्षक पर पैनल की चर्चा में यह बात कही। यह विषय इस साल के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का भी थीम है।
किसी लिंग नहीं, बल्कि मानसिकता के खिलाफ जंग है नारीवाद: शाजिया इल्मी

भाजपा नेता ने कहा, पुरूष प्रधान सोच किसी विशेष लिंग तक सीमित नहीं है। यह हम सबके भीतर है। पुरूष को कई विशेषाधिकार मिलते हैं। यह हमारे लिए पितृसत्ता है। यह एक मानसिकता है। यह केवल पुरूषों में ही नहीं है। उन्होंने कहा, जब भी हम इस विषय पर चर्चा करते हैं तो यह लिंगों के बीच युद्ध नहीं है। यह मानसिकता के खिलाफ युद्ध है। महिलाएं भी पुरूष प्रधान सोच का हिस्सा हैं। हम अक्सर देखते हैं कि महिलाएं एक दूसरे के बारे में बुरा भला कहती हैं । यह पितृसत्तात्मक सोच है जिसके कारण हम एक दूसरे की आलोचना करते हैं। हमें इससे लड़ना होगा।

शाजिया ने कहा कि भारत में महिलाओं की छवि उन कई बातों पर आधारित है जो हम हमारे आस पास सुनते हुए बड़ी होती हैं। उन्होंने कहा, हीरा महिला का सबसे अच्छा दोस्त होता है, पुरूष के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है इन बातों को आम तौर पर स्वीकार कर लिया गया है। इसकी दोषी हम हैं क्योंकि हम इन्हें स्वीकार करती हैंं। इस प्रकार की घिसी पिटी सोच को बदलने की आवश्यकता है। इस सत्र में थियेटर कलाकार सीता रैना, फैशन डिजाइनर मधु जैन, उद्यमी निलोफर कुरिमभोय और कुचिपुड़ी नृत्यांगना भावना रेड्डी ने भी भाग लिया।

 

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