देश में कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है। इस बीच वैक्सीन की भी किल्लत सामने आ रही है। कई राज्यों ने टीके की कमी की वजह से टीकाकरण अभियान रोक दिया है। टीके की आपूर्ति के लिए कई राज्यों ने ग्लोबल टेंडर भी जारी किया था लेकिन फाइजर या मॉडर्ना जैसी कम्पनियों ने करार करने से इनकार कर दिया। बता दें कि 3 फरवरी को भारतीय दवा नियामक ने फाइजर की एमआरएनए वैक्सीन को भारत में इस्तेमाल की मंजूरी से इनकार कर दिया था। इसके बाद फाइजर ने अपना आवेदन वापस ले लिया। मगर जब अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर भारत में आई और यह स्पष्ट हो गया कि भारत में वैक्सीन की कमी होने वाली है तब भारत सरकार ने वैक्सीन पर यूटर्न ले लिया। 13 अप्रैल को सरकार ने ऐलान किया की कि जिन वैक्सीन को अमेरिका, यूके, ईयू, जापान और डब्ल्यूएचओ से स्वीकृति मिल चुकी है, उन्हें भारत में दूसरी और तीसरे चरण के ट्रायल की बाध्यता नहीं होगी। सरकार के ऐलान को लगभग डेढ़ महीने हो गए हैं लेकिन अभी तक फाइजर या मॉडर्ना जैसी किसी विदेशी वैक्सीन कंपनी के साथ भारत का करार नहीं हुआ है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भारत से पहले कुछ देशों ने इन कंपनियों को बड़े बड़े ऑर्डर दिए हैं। दिसंबर 2020 में आपूर्ति शुरू करने वाली दोनों अमेरिकी कंपनियां इन देशों को 2023 तक लाखों खुराक सप्लाई करने के लिए बाध्य हैं।
सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस बात पर हामी जतायी। सयुंक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ''फाइजर हो या मॉडर्ना, हम केंद्र के स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। दोनों कंपनियों के पास पहले से ही ऑर्डर फुल हैं। यह उनके सरप्लस पर निर्भर करता है कि वो भारत को कैसे वैक्सीन आपूर्ति करेंगी। वे भारत सरकार के पास वापस आएंगी और यह सुनिश्चित करेंगे कि कैसे वे राज्यों को वैक्सीन सप्लाई कर सकती हैं।''
हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत में वैक्सीन सप्लाई को लेकर अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात करने वाले हैं। वहीं सोमवार को ही दिल्ली के मु्ख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया था कि फाइजर और मॉडर्ना ने कहा है कि वे सीधे राज्यों को वैक्सीन नहीं देंगी। इसके साथ ही पंजाब ने कहा कि फाइजर और मॉर्डना ने सीधे राज्य को वैक्सीन देने से मना कर दिया है।