सूत्रों ने बताया कि देहरादून केंद्र की ओर से तय मापदंड में सटीक नहीं रहा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में यह शहर पहले पिछड़ गए थे। इन्हें अपनी रैंक सुधारने का मौका दिया गया था। शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक फास्ट ट्रैक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले शहरों के बीच यह मुकाबला अप्रैल में शुरू किया गया था। इसके तहत देश के 23 शहरों ने नए सिरे से अपनी दावेदारी पेश की थी। नायडू द्वारा जारी किए गए 23 शहरों में से 15 शहर ऐसे हैं, जो विभिन्न राज्यों की राजधानी हैं। केंद्र सरकार की ओर से देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत दूसरे चरण में 23 शहरों की दावेदारी में से 13 के नामों का ऐलान कर दिया गया। अगले दो सालों में इस योजना के तहत 40-40 शहरों का फिर से रैंकिंग के आधार पर चयन किया जाएगा। इन्हें भी फास्ट ट्रैक स्मार्ट सिटी कंपीटिशन के जरिए ही अपनी रैकिंग सुधारने का मौका दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी के लिए चुने गए हर शहर को पहले साल 200 और उसके बाद चार साल के लिए हर साल 100 करोड़ रुपए मिलेंगे। इस प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार आगामी पांच साल में 48 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस धनराशि में कुछ खर्च राज्य सरकारों को भी करना होगा। 13 शहरों में लखनऊ, वारंगल, धर्मशाला, चण्डीगढ़, नया रायपुर, न्यू टाउन कोलकाता, भागलपुर, पणजी, पोर्ट ब्लेयर, इंफाल, रांची, अगरतला और फरीदाबाद शामिल हैं।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट : लखनऊ और फरीदाबाद सहित 13 और शहर चमकेंगे
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में 20 शहरों को शामिल करने के बाद केंद्र सरकार ने अब दूसरे चरण में 13 अन्य शहरों को शामिल किया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने मंगलवार को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल नए शहरों की घोषणा की। नए शहरों में लखनऊ, भागलपुर और फरीदाबाद को चुना गया है। जबकि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को शामिल नहीं किया गया है।
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