अंसारी ने यहां भारतीय अधिवक्ता संगठन के नौवें राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने उद्घाटन संबोधन में कहा, जमीनी हकीकत निराशाजनक है। उन्होंने न्यू वल्र्ड वेल्थ कंपनी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत विश्व में 12 वीं सबसे बड़ी असमान अर्थवयवस्था है जहां 45 प्रतिशत संपत्ति धन कुबेरों द्वारा नियंत्रित है।
वित्तीय एजेंसी क्रेडिट सुइस द्वारा प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट का हवाला देते हुए अंसारी ने कहा कि भारत की कुल संपत्ति में से लगभग आधी संपत्ति सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों के हाथों में है, जबकि शीर्ष 10 प्रतिशत के हाथों में इसका करीब 74 फीसद हिस्सा है। उन्होंने कहा, इस बीच, सबसे गरीब 30 प्रतिशत लोगों के पास कुल संपत्ति का केवल 1.4 प्रतिशत ही है।
अंसारी ने कहा कि महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक बदलावों के बावजूद जाति वर्गीकरण लगातार गहरी पैठ बनाए हुए है और इसका अक्सर हिंसक परिणाम निकलता है। उन्होंने यह भी कहा कि अनुसूचित जातियों पर अत्याचार रोकथाम के संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की 2010 की एक रिपोर्ट के अनुसार हर 18 मिनट में किसी दलित के खिलाफ कोई न कोई अपराध होता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 2012 में 37 प्रतिशत दलित गरीबी रेखा से नीचे थे, 54 प्रतिशत अल्पपोषित थे, दलित घरों में जन्म लेने वाले प्रति एक हजार बच्चों में से 83 की उनके पहले जन्मदिन से पूर्व मौत हो गई तथा 45 प्रतिशत दलित निरक्षर थे।
आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि दलितों को 28 प्रतिशत भारतीय गांवों में पुलिस थानों में प्रवेश करने से रोका जाता है, 39 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में खाने के दौरान उनके बच्चों को अलग बैठाया जाता है तथा देश के 24 प्रतिशत गांवों में तो उन्हें उनको भेजी गईं चिट्ठियां तक नहीं मिलतीं। अंसारी ने कहा कि मानव विकास सूचकांक में 188 देशों में से भारत का स्थान 130वां है। भाषा एजेंसी