भारतीय नौसेना के विध्वंसक युद्धपोत 'विशाखापट्टनम' को सेवा में शामिल किया गया है। इससे भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा हो गया है। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई डॉकयार्ड में 'आईएनएस विशाखापत्तनम' के कमीशन समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने चीन पर कटाक्ष करते हुए कहा, कि वर्चस्ववादी प्रवृत्तियों वाले "कुछ गैर-जिम्मेदार राष्ट्र" अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों के कारण समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) को गलत तरीके से परिभाषित कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि यूएनसीएलओएस की परिभाषा की मनमानी व्याख्या कर कुछ देशों की ओर से इसे लगातार कमजोर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक के रूप में, भारत सर्वसम्मति-आधारित सिद्धांतों और शांतिपूर्ण, खुले, नियम-आधारित स्थिर समुद्री व्यवस्था का समर्थन करता है। सिंह ने कहा कि आईएनएस विशाखापट्टनम के नौसेना में शामिल होने से हमारी ताकत बढ़ी है। हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम केवल मेक इन इंडिया नहीं बल्कि मेक फॉर वर्ल्ड भी करेंगे। इंडो पैसिफिक को सुरक्षित, स्वतंत्र और खुला रखना हमारे नौसेना की प्रमुख जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कुछ देश ऐसे है जो गैर जिम्मेदार हैं और अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों को अपने अनुसार बदलाव करते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले 5 सालों में भारतीय नेवी के आधुनिकीकरण के बजट का दो तिहाई से अधिक भाग स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है। नेवी द्वारा ऑर्डर किए गए 41 शिप, पनडुब्बी में से 39 भारतीय शिपयार्ड से है। आत्मनिर्भर भारत के प्रति यह नेवी की प्रतिबद्धता है।
बता दें कि छिप कर हमला करने में सक्षम, स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत 'विशाखापट्टनम' कई मिसाइल और पन्नडुब्बी रोधी रॉकेट से लैस है। इसे नौसेना के शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी में सेवा के लिए शामिल किया गया है।