भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने निजामुद्दीन मरकज मामले की निंदा की है। माकपा ने कहा है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि बड़ी संख्या में जो लोग दिल्ली में तब्लीगी जमात की बैठकों में भाग लिया और देश के अलग-अलग हिस्सों में फैलने से संक्रमित पाए गए। यह जमात की ओर से गैर जिम्मेदाराना रहा। पार्टी ने नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन लोगों ने मार्च के मध्य में बैठक आयोजित की जबकि पहले से सभा को आयोजित करने से प्रतिबंध कर दिया गया था। उसके बाद पुन: दुसरी बार 2O-21 मार्च को सभा की अनुमति कैसे दी गई।
बता दें, कर्नाटक में अब तक 11तब्लीगी कार्यकर्ता पॉजिटिव पाए गए है। वहीं दिल्ली में 108 जमाती कोरोना संक्रमित की पुष्टि हुई है। जबकि 219 मामले सामने आ चुके है और चार लोगों की मौत हो चुकी है।
‘वायरस धर्म के आधार पर नहीं करता अंतर’
इसके साथ ही माकपा ने सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे खबरों की निंदा की। पार्टी ने कहा कि इसे बेवजह सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है। कोरोनो वायरस धर्म के आधार पर अंतर नहीं करता है। यह भारत का कोविड-19के खिलाफ युद्ध है।
नौ मौलवियों पर एफआईआर
इस बीच, पिछले महीने निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में शामिल होने वाले नौ मौलवियों के खिलाफ पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है जो मरकज से लौटने के बाद नेपाल सीमा पर एक मदरसे में छिपे हुए थे। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188, 269 और 270 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मौलाना साद की तलाश में जुटी पुलिस
तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद खांडलवी का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। देश के कई हिस्सों में पुलिस टीम तलाशी में जुटी हुई है। इस बीच मौलाना साद खांडलवी की तलाश में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने बुधवार को राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना ने खुद को किसी अज्ञात जगह पर आइसोलेट कर लिया है। पुलिस के सूत्रों के अनुसार, क्राइम ब्रांच की टीमों ने स्थानीय पुलिस की मदद से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में छापेमारी की। साथ ही दिल्ली के जाकिर नगर और निजामुद्दीन में उनके तीन आवासों पर भी छापेमारी की गई है।