उस समय एक छात्रा ने उसे परिसर के भीतर खुले में मूत्र नहीं करने के लिए कहा था। इस समय दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रही और उस समय जेएनयू में पढ़ रही छात्रा का आरोप है कि जब उसने आपत्ति की तो कन्हैया ने उससे दुर्व्यवहार किया और उसे मानसिक विकार से ग्रस्त बताया और उसे परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। इसके बाद छात्रा की शिकायत पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोक्टर से जांच कराई जिसमें कन्हैया को दोषी पाया गया।
विश्वविद्यालय के तत्कालीन मुख्य प्रोक्टर कृष्ण कुमार के कार्यालय से 16 अक्टूबर, 2015 को जारी आदेश में कहा गया है, विश्वविद्यालय ने कन्हैया कुमार को पूर्व छात्रा के साथ दुर्व्यवहार करने और उसे धमकी देने का दोषी पाया। इसमें आगे कहा गया है, यह कृत्य गंभीर प्रकृति का है और जेएनयू के किसी छात्र के लिए ऐसा करना गलत है अत: उसके (कन्हैया के) खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला बनता है। उसके कॅरिअर संबंधी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कुलपति ने इस मामले में लचीला रवैया अख्तियार किया।
आदेश में कहा गया है, कन्हैया पर तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है और उसे भविष्य में सावधान रहने और ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होने की चेतावनी दी जाती है। अन्यथा उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस पूर्व छात्रा ने जहां सोशल मीडिया पर इस बिना हस्ताक्षर वाले आदेश को शेयर किया है और कन्हैया को छद्म क्रांतिकारी होने और महिलाओं की गरिमा कायम रखने का गलत दावा करने वाला बताया है, वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान में इस आदेश पत्र की पुष्टि की है और कहा है कि छात्र नेता के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।