बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (एसवीडीवी) में सहायक प्रोफेसर के तौर पर फिरोज खान की नियुक्ती को लेकर विवाद जारी है। एक ओर जहां छात्रों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है वहीं छात्रों का दूसरा वर्ग उनके समर्थन में भी खड़ा हो गया है। कई प्रोफेसर और वाराणसी में संतों के एक समूह ने भी खान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की निंदा की।
संस्कृत विभाग के छात्रों ने संकाय सदस्य के रूप में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति के खिलाफ विरोध जारी रखा है। वहीं अब बीएचयू के छात्रों के एक दूसरे समूह ने प्रोफेसर के समर्थन में जुलूस निकालना शुरू कर दिया। 'वी आर विद फिरोज खान' लिखी तख्तियां ले कर ये छात्र प्रोफेसर का समर्थन कर रहे हैं। प्रोफेसर खान विरोध के कारण अपनी नियुक्ति के बाद से कक्षाएं नहीं ले पाए हैं।
बुधवार को विश्वविद्यालय के छात्रों ने खान के समर्थन में शांति मार्च निकाला। छात्रों ने विश्वविद्यालय के लंका गेट से रविदास गेट तक मार्च किया। यह शांति मार्च एनएसयूआई, यूथ फॉर स्वराज और आईसा जैसे संगठनों की संयुक्त पहल थी।
‘विरोध करने वाले छात्रों की संकीर्ण जातिवादी मानसिकता है’
राजनीति विज्ञान के पीएचडी छात्र और एनएसयूआई के सदस्य विकास सिंह ने कहा, "शांति मार्च के माध्यम से हमने यह बताने की कोशिश की कि हम इस विश्वविद्यालय में डॉ फिरोज खान का स्वागत करते हैं, जो पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित किया गया था। इसका समाधान होना चाहिए। उनकी नियुक्ति का विरोध करने वाले छात्रों की संकीर्ण जातिवादी मानसिकता है।"
संतो ने की खान के खिलाफ प्रदर्शन की निंदा
वाराणसी में संतों के एक समूह ने भी खान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की निंदा की है और कहा है कि प्रोफेसर और उनका परिवार एक गौशाला चला रहा है और हिंदू संस्कृति में गहरी आस्था रखता है।
खान के समर्थन में कई बीएचयू के प्रोफेसर भी सामने आए हैं। प्राचीन इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व के प्रोफेसर महेश प्रसाद अहिरवार ने फेसबुक पर इस मुद्दे पर अपनी निराशा व्यक्त की।
‘कोई नहीं जानता कि डॉ फिरोज खान कहां हैं’
एसवीडीवी की डीन विंधेश्वरी मिश्रा ने कहा, "कोई नहीं जानता कि डॉ फिरोज खान कहां रह रहे हैं। वह यहां नहीं आए हैं और कुछ लोग दावा करते हैं कि वह जयपुर में अपने परिवार से मिलने गए हैं। खान किसी से नहीं मिले हैं और उसका मोबाइल फोन बंद है। कुलपति राकेश भटनागर भी अपने रुख से विचलित नहीं हुए उन्होंने कहा कि खान की नियुक्ति वैध है।