वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क का जो ढांचा खड़ा किया जायेगा उसका पूरा जिम्मा जीएसटी नेटवर्क का होगा। स्वामी को इसके ढांचे को लेकर आपत्ति है। स्वामी ने ट्वीट जारी कर कहा, मैं इस बारे में अमित शाहजी और भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखने जा रहा हूं कि उन्हें जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक का अनुमोदन करते समय जीएसटीएन का विरोध करना चाहिये। अब तक आठ राज्य जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को अंगीकार कर चुके हैं। इनमें पांच भाजपा शासित राज्य शामिल हैं। असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और मध्य प्रदेश जीएसटी विधेयक का अनुमोदन कर चुके हैं।
जीएसटी नेटवर्क एक विशेष उद्देशीय कंपनी है। इसका गठन पिछले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय जीएसटी को अमल में लाने के लिये आईटी नेटवर्क स्थापित करने के लिये किया गया था। स्वामी के अनुसार जीएसटीएन का इक्विटी ढांचा राष्ट्र-विरोधी है। इस नेटवर्क कंपनी में भारत सरकार की हिस्सेदारी 24.5 प्रतिशत है जबकि राष्टीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और पुड्डुचेरी और राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति सभी की मिलाकर इसमें 24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी गैर-सरकारी वित्तीय संस्थानों के हाथ में है।
स्वामी ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर जीएसटीएन की बहुमत हिस्सेदारी निजी हाथों में होने पर कड़ा विरोध जताया था। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था कि इसके स्थान पर सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी होनी चाहिये। स्वामी ने कहा कि जीएसटीएन में केन्द्र और राज्य सरकारों की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस जैसे निजी क्षेत्र के संस्थानों की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है जिनमें कि विदेशी हिस्सेदारी भी है। जीएसटी नेटवर्क का जीएसटी के तहत होने वाली समूची राजस्व वसूली और लेखे पर नियंत्रण होगा।
एजेंसी