देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण मेडिकल उपकरणों की मांग में भी तेजी आ रही है। इसमें से एक है ऑक्सीजन कंंसंट्रेटर। जिसकी मांग बाजारों में तेज हो गई है। जिसकी पूर्ति करने के लिए हैसिल, सोरा, फीलिप्स, इक्वीनॉक्स, डॉ. मॉरफिन जैसी कई कंपनियां 22,000 से लेकर 2.7 लाख तक मेडिकल डिवाइस उपलब्ध करा रही है। वहीं कई लोग इन उत्पादों का मूल्य बढ़ाकर कालाबाजारी कर रहे हैं। जिसे लेकर आउटलुक ने ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर के निर्माताओं में से एक एक्जाल्टा इंडिया के संस्थापक आशुतोष वर्मा से बात की।
ऑक्सीजन कंंसंट्रेटर की दैनिक मांग को लेकर आशुतोष बताते हैं कि पहले बहुत कम कंपनियां इसका निर्माण करती थी, ज्यादातर चीन व अन्य देशों से आयात की जाती थी। फिलहाल मेरी कंपनी को व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों, अस्पतालों और विभिन्न अन्य संगठनों की ओर से हर दिन 2 हजार से 10 हजार तक मशीन बनाने का ऑर्डर मिल रहा है। मांग वायरस के प्रसार की संक्रामकता और क्षेत्र पर निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि पहले हम एक दिन में केवल 10 से 15 कंंसंट्रेटर ही बनाया करते थे, लेकिन अब वर्कफोर्स के साथ हम प्रति दिन 80 से 90 आपूर्ति कर पा रहे हैं।
आशुतोष बताते हैं कि उत्पादन के लिए कच्चे माल की उपलब्धता एक प्रमुख मुद्दा है। हमें भी मांग के अनुसार उत्पादन तैयार करने के लिए कच्चे माल के अभाव का सामना करना पड़ता है। कच्चे माल की मांग और आपूर्ति के लिए एक उचित संगठन होना जरूरी है। वर्तामान स्थिति को देखते हुए इसके लिए सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। फिलहाल कई सरकारी उपक्रम, आईआईटी, इन्क्यूबेशन सेंटर जल्द से जल्द मेड इन इंडिया उत्पादों को बनानी के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
ऑक्सीजन कंंसंट्रेटर की बड़ी कीमतों के बारे में आशुतोष कहते हैं कि मांगों को पूरा करने के लिए उत्पादन, श्रम लागत, बिजली जैसी विभिन्न लागते बढ़ी हैं। जिसकी वजह से इन मशीनों की कीमत में वृद्धि हुई है। हम पहले से ही लाभ के पहलू को देखे बिना अपने उपकरणों को कम से कम संभव कीमत पर बेच रहे हैं।