राजधानी दिल्ली में पिछले साल के दिसंबर महीने में नए नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक जगहों को बंद नहीं कर सकता है। बुधवार को आए इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि सार्वजिनक जगहों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नही किया जा सकता है। यह अनुचित है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि धरना-प्रदर्शन लोगों का अधिकार है लेकिन ये अपनी जगह है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की जनता को विरोध करने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि संविधान विरोध करने का अधिकार देता है लेकिन इसमें कर्तव्य भी जुड़े हैं।
प्रदर्शन में शामिल तीन महिलाएं काफी चर्चा रहीं। उनमें से एक बिल्किस दादी काफी सुर्खियों में रहीं। हाल ही में टाइम्स मैगजीन ने उन्हें दुनिया की सौ शक्तिशाही महिलाओं की लिस्ट में जगह दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शाहीन बाग प्रदर्शन को लेकर आगे कहा कि आवागमन के अधिकार को अनिश्चित काल तक नहीं रोका जा सकता है। कोर्ट ने शाहीन बाग मसले को हल करने के लिए मध्यस्थता के लिए सदस्य नियुक्त किए थे। लेकिन ये सफल नहीं हो पाया। कोर्ट ने कहा कि इस बात को लेकर हमें कोई पछतावा नहीं है।
दिल्ली के शाहीन बाग में करीब सौ दिनों तक सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में प्रदर्शन चले थे। साल 2020 में कोरोना महामारी के दस्तक देने से प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन को खत्म कर दिया था। प्रदर्शन के दौरान की तरह की हिंसात्मक खबरें भी आई थी। शाहीन बाग से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया स्थित है। यहां पर भी सीएए के विरोध में प्रदर्शन हुए थे।