उच्चतम न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश एन वी रमन और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी के संवाददाता सम्मेलन तथा पत्र के खिलाफ शीर्ष अदालत में सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी, क्योंकि एक जज ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने का निर्णय लिया है।
पेशे से वकील जी एस मणि और दो अन्य याचिकाकर्ताओं -एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट तथा वकील सुनील कुमार सिंह- की याचिकाएं सुनवाई के लिए जैसे ही न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण के समक्ष आयीं, न्यायमूर्ति ललित ने इनकी सुनवाई करने में असमर्थता जतायी।
न्यायमूर्ति ललित ने कहा, “मुझे (इसकी सुनवाई में) दिक्कत है, मैं इस मामले को नहीं सुन सकता। एक वकील के रूप में, मैंने पक्षकारों की ओर से मुकदमा लड़ा है। हम भारत के मुख्य न्यायाधीश से उचित निर्देश लेने और जल्द से जल्द उचित बेंच के समक्ष इसे सूचीबद्ध करने को रजिस्ट्री से कहेंगे।”
मणि ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता के महत्व को रेखांकित करते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री के रिकॉर्ड मांगे गए हैं और यह घोषित करने की मांग की गई है कि उनके पास अपना पद संभालने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड मुक्ति सिंह के माध्यम से प्रैक्टिसिंग वकील सुनील कुमार सिंह ने याचिका दायर करके न्यायाधीशों के खिलाफ मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह संवाददाता सम्मेलन करने पर रोक लगाने की मांग की है और कहा गया है कि उचित कार्रवाई करने के लिए उन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया जाना चाहिए।