सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी धन प्राप्त करने और उसके इस्तेमाल से जुड़े नियमों का कथित तौर पर उल्लंघन करने को लेकर कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने एवं इसकी जांच की मांग करने वाली एक याचिका पर अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह, आनंद ग्रोवर और उनके एनजीओ ‘‘लॉयर्स कलेक्टिव’’ से बुधवार को जवाब मांगा। इस सिलसिले में अधिवक्ताओं के एक स्वैच्छिक संगठन लॉयर्स व्याइस ने एक जनहित याचिका दायर की है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के नुताबिक, याचिका में आरोप लगाया गया है कि इनके द्वारा जुटाए गए धन का राष्ट्र के खिलाफ गतिविधियों में दुरुपयोग किया गया। वहीं, शीर्ष अदालत द्वारा बुधवार को नोटिस जारी किए जाने के बाद जयसिंह, ग्रोवर और लॉयर्स कलेक्टिव ने कहा कि वे इस घटनाक्रम से काफी परेशान हैं और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट की एक बर्खास्त महिला कर्मचारी का मुद्दा उठाया था, जिसने सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
गृह मंत्रालय को भी नोटिस
सीजेऐआई रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने गृह मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया तथा उसे आरोपों पर अपना जवाब देने को कहा। लॉयर्स कलेक्टिव द्वारा प्राप्त किए गए धन का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों में किए जाने का भी आरोप है।
याचिका में क्या है?
-याचिका में केंद्र के आदेशों का जिक्र है जिसके जरिए लॉयर्स कलेक्टिव का लाइसेंस 2016 में निलंबित कर दिया गया था और विदेशी चंदा (नियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन को लेकर बाद में स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया था। पीआईएल में आरोप लगाया गया है कि जयसिंह, ग्रोवर और लॉयर्स कलेक्विटव ने एफसीआरए, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून का उल्लंघन किया। याचिका अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार गुप्ता के मार्फत दायर की गई है।
-इसमें आरोप लगाया गया है कि गंभीर आरोप होने के बावजूद केंद्र ने जयसिंह, उनके पति ग्रोवर और लॉयर्स कलेक्टिव की छानबीन नहीं करने का विकल्प चुना। इस संस्था का गठन जयसिंह और ग्रोवर ने 1981 में किया था।
-यह आरोप भी लगाया गया है कि चेक और नकदी के रूप में देशी चंदा प्राप्त किया गया, जो हर किसी को पता है। इसकी जांच किए जाने की आवश्यकता है।
-याचिका में कहा गया है कि 31 मई 2016 के आदेश से यह स्पष्ट है कि जयसिंह ने केंद्र के लिए जुलाई 2009 से मई 2014 तक अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल के रूप में काम करने के दौरान 96.60 लाख रूपया मेहनाताना प्राप्त किया था।
-यह याचिका केंद्र के 2016 के आदेशों पर आधारित है। गृह मंत्रालय के सक्षम प्राधिकार ने 2015 में दायर एक शिकायत पर 31 मई और 27 नवंबर 2016 को दो आदेश जारी किए थे। मंत्रालय ने जयपुर निवासी राजकुमार शर्मा के पत्र पर संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की थी। पत्र में दावा किया गया था कि लॉयर्स कलेक्टिव ने 2006 के बाद से 28. 5 करोड़ रुपया विदेशी चंदा प्राप्त किया जिसमें से 7. 2 करोड़ रुपया फोर्ड फाउंडेशन यूएसए से प्राप्त किया गया जबकि 4.1 करोड़ रुपया अत्यधिक विवादास्पद अमेरिकी दानकर्ता ओपेन सोसाइटी फाउंडेशन से प्राप्त किया गया। इसमें कहा गया कि आरटीआई के जरिए जुटाए गए आंकड़ों से यह जाहिर होता है कि जयसिंह के 2008-09 में एएसजी बनने के बाद लॉयर्स कलेक्टिव ने लावी स्ट्रॉस फाउंडेशन, यूएसए और स्विटजरलैंड के फाउंडेशन ओपेन सोसाइटी जैसे विवादास्पद संगठनों से धन हासिल किए।
नोटिस पर बोलीं जयसिंह
शीर्ष अदालत द्वारा बुधवार को नोटिस जारी किए जाने के बाद जयसिंह, ग्रोवर और लॉयर्स कलेक्टिव ने कहा कि वे इस घटनाक्रम से काफी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें टार्गेट किया जा रहा है क्योंकि जयसिंह ने शीर्ष न्यायालय की एक बर्खास्त महिला कर्मचारी का मुद्दा उठाया था, जिसने सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। हालांकि, एक आंतरिक जांच समिति ने छह मई को इस आरोप को खारिज कर दिया। जयसिंह, ग्रोवर और लॉयर्स कलेक्टिव ने एक प्रेस बयान में कहा कि यह साफ है कि सीजेआई के खिलाफ शीर्ष अदालत की एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के सिलसिले में अपनाई गई कार्यप्रणाली का मुद्दा जयसिंह द्वारा उठाए जाने के चलते उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि, जयसिंह ने सरोकार रखने वाली एक नागरिक, बार की एक वरिष्ठ सदस्य होने और महिला अधिकारों की हिमायती होने के नाते यह मुद्दा उठाया। साथ ही, उन्होंने आरोपों के गुणदोष पर कोई टिप्पणी नहीं की। इसमें कहा गया है कि आंतरिक जांच समिति के कार्य के बारे में कानूनी प्रक्रिया को लेकर जयसिंह सार्वजनिक रूप से मुखर रही हैं।