सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में आसाराम की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एन. वी. रमन की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया कि इस मामले की सुनवाई चल रही है और अब भी 210 गवाहों के साथ जिरह होनी है।
याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि निचली अदालत सुनवाई जारी रखेगी और आसाराम की याचिका खारिज करते हुए गुजरात हाई कोर्ट द्वारा कही गई बातों से प्रभावित नहीं होगी।
सूरत की रहने वाली दो बहनों ने आसराम और उनके बेटे नारायण साई के खिलाफ बलात्कार करने और बंधक बनाकर रखने की शिकायत दर्ज कराई थी
बता दें कि आजीवन जेल की सजा काट रहे आसाराम की सजा पर रोक लगाने की याचिका 26 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने आसाराम की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी थी. आसाराम पर बलात्कार और हत्या का मामला है और इसी मामले में वह जेल में बंद है। बात दें कि राजस्थान के जोधपुर स्थित अपने आश्रम में वर्ष 2013 में 16 साल की एक लड़की के साथ दुष्कर्म करने के मामले में जोधपुर की अदालत ने आसाराम को को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
आसाराम और 4 अन्य सहआरोपियों के खिलाफ पुलिस ने पॉक्सो अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत 6 नवंबर 2013 को पुलिस ने आरोपपत्र दायर किया था। पीड़िता ने आसाराम पर उसे जोधपुर के नजदीक मनाई इलाके में आश्रम में बुलाने और 15 अगस्त 2013 की रात उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था।