सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ एक अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी। सुप्रीम कोर्ट इससे पहले अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर चुका है।
संविधान पीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति एन वी रमन करेंगे और इसमें न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, आर सुभाष रेड्डी, बी आर गवई और सूर्यकांत शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ पहले ही धारा 370 के प्रावधानों को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही है जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था। इस मामले को 30 सितंबर को सुनवाई के लिए रखा गया है।
दाखिल हैं कई याचिकाएं
सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से शीर्ष अदालत में इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं। सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त किए जाने से जुड़े कई मामलों में सुनवाई की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मिली थी कि जो जम्मू-कश्मीर में लोगों के हाईकोर्ट से संपर्क करने में असमर्थ होने संबंधी दावे का समर्थन नहीं करती।
कश्मीर में बच्चों को कथित तौर पर हिरासत में रखे जाने का आरोप लगाने वाले बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि घाटी के लोग वहां हाई कोर्ट से संपर्क नहीं साध पा रहे हैं। इसके बाद पीठ ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी।
पांच अगस्त को सरकार ने हटाया था अनुच्छेद 370
पिछले महीने केंद्र सरकार ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 और 35A को रद्द कर दिया था और संसद ने जम्मू और कश्मीर (पुनर्गठन) अधिनियम, 2019 को पारित किया था जिसमें राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया था। इसके बाद इस कदम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई।