सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत की इनर्जी पॉलिसी के लिए एनएसजी की सदस्यता सबसे अहम है। चीन हमारे विरोध में नहीं है। बातचीत के माध्यम से चीन को इस पर राजी करने का प्रयास किया जाएगा। चीन सिर्फ मानदंडों की प्रक्रिया की बात कर रहा है। वह हमारे विरोध में नहीं है। हमें उम्मीद है हम इस मसले पर चीन को मना लेंगे। पाक की एनएसजी सदस्यता पर विदेशमंत्री ने कहा कि भारत किसी भी देश की एनएसजी सदस्यता का विरोध नहीं कर रहा है, हम चाहेंगे कि सभी देशों की अर्जियां योग्यता के आधार पर तय की जाएं। हमें उम्मीद है कि हम चीन का समर्थन हासिल कर लेंगे। मैं खुद इस मसले पर 23 देशों से संपर्क में हूं।
सुषमा ने कहा कि विभिन्न विदेशी दौरों के जरिए हमने कौशल भारत योजना और विदेशी निवेश के विकास के लिए प्रयास किए हैं। कई देशों के साथ हम परमाणु संबंधों को लेकर भी आगे बढ़ रहे हैं। बेहतर आर्थिक संबंधों के लिए पीएम मोदी ने 10 महीनों में यूएई, सऊदी अरब, ईरान और कतर का दौरा किया है, यह कहना सही नहीं है कि एनएसजी सदस्यता हासिल करने के लिए हमने सार्क देशों की अवहेलना की है।
विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के साथ जटिल मुद्दे हैं, जिनको हल किया जाना है। वर्तमान में दोनों देशों के नेताओं के बीच संबंधों में सहजता और सौहार्द है। सुषमा ने कहा, हम पठानकोट हमले पर पाकिस्तान की ओर से ठोस कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पाकिस्तान ने एनआईए के दौरे का प्रस्ताव खारिज नहीं किया है, कुछ और समय मांगा है। उन्होंने कहा कि भारत दक्षिणी चीन सागर विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है।
सुषमा ने कहा कि पिछले दो साल में देश में 55 अरब डाॅलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :एफडीआई: प्राप्त हुआ। एफडीआई मेें 43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सुषमा ने कहा कि विजय माल्या और ललित मोदी के प्रत्यर्पण का आग्रह ईडी से मिलने के बाद ब्रिटेन के पास भेजा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दुनिया में अमेरिका, स्विटजरलैंड, मैक्सिको, ब्रिटेन और रुस सहित अन्य देश भारत की एनएसजी की सदस्यता पर अपनी मंजूरी दे चुके हैं। वहीं चीन अभी तक इस मसले पर अपनी सहमति नहीं दे पाया है।