झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के मामले में डेढ़ दर्जन से अधिक विभिन्न संगठनों ने झारखंड सरकार से अपील की है कि वह केरल, प.बंगाल और छत्तीसगढ़ की तरह स्टैंड ले।
स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार को विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संगठनों ने बिरसा समाधिक स्थल पर सांकेतिम धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया। और उनकी रिहाई की मांग की। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि स्टेन स्वमी बिरसा मुंडा की विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। जल, जंगल और जमीन पर हमला बढ़ता जा रहा है। केंद्र सरकार राज्य की स्वायतता के खिलाफ काम कर रही है। झारखंड सरकार से एनआइए के बारे में प.बंगाल, छत्तीसगढ़ और केरल की तरह स्पष्ट स्टैंड लेने का अनुरोध किया गया।
ज्ञात हो कि हाल ही 83 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को भीमा कोरेगांव मामले में एनआइए की टीम ने बीते गुरूवार को उनके रांची के नामकुम स्थित आवास से रात के अंधेरे में पकड़कर मुंबई ले गई थी। स्थानीय पुलिस प्रशासन को भरोसे तक में नहीं लिया गया था। बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में 23 अक्टूबर तक भेज दिया गया। उनकी गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी आपत्ति जताई थी, कहा था के गरीबों, वंचितों की आवाज उठाने वाले वृद्ध स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है। अपने विरोध की हर आवाज कोदबाने की ये कैसी जिद है।
आदिवासी जनाधिकार सभा की आलोका कुजूर ने बताया कि अनशनकारियों ने राज्य की स्वायतता बनाये रखने के लिए हेमंत सरकार से केंद्र को पत्र लिखने, स्टेन स्वामी की तत्काल रिहाई और स्टेन स्वामी सहित अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से मुकदमे हटाने, यूएपीए को रद करने और एनआइए का दुरुपयोग बंद करने की मांग की है।
अनशनकारियों में भाकपा माले, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, ओमेन महिला संगठन, झारखंड छात्र संघ, इप्टा, आइसा, एपीआइडब्ल्यूए, एआइसीटीयू, सांझा मंच, कांग्रेस, एआइईएफ, राइट फॉर फूड कंपेन,झारखंड जनाधिकार महासभा, झलक, इंडीजेनस विमेन इंडिया नेटवर्क आदि संगठनों ने हिस्सा लिया। इधर कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष व जामताड़ा विधायक फुरकान अंसारी ने स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को ईसाई समुदाय पर बड़ा हमला करार दिया है। कहा है कि भाजपा के इशारे पर एनआइए ने स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी की है। वहीं कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि स्टेन स्वमी को साजिश के तहत केंद्र सरकार फंसा रही है। वे झारखंड के वंचितों की लड़ाई लड़ने वाले अग्रणी लोगों में हैं। झारखंड में जल जंगल और जमीन के मसले पर लंबा संघर्ष किया है।