Advertisement

बच्चों पर किया जुल्म तो मिलेगी सजा

बच्चों को अपराध से रोकने के साथ-साथ उन पर होने वाले जुल्म से बचाने के लिए किशोर न्याय अधिनियम लागू हो गया है। इसके तहत बच्चों से मारपीट करने पर अभिभावक को भी सजा का प्रावधान है।
बच्चों पर किया जुल्म तो मिलेगी सजा

शुक्रवार से किशोर न्याय (बाल देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 अमल में आ गया है और किशोर न्याय (बाल देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2000 निरस्त हो गया है। किशोर न्याय (बाल देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 को 7 मई, 2015 को लोक सभा द्वारा और 22 दिसंबर, 2015 को राज्य सभा द्वारा पास किया गया था। इसके बाद 31 दिसंबर, 2015 को इसे राष्ट्रपति ने मंजूरी प्रदान कर दी। 


जेजे एक्ट, 2015 और बेहतर ढंग से बच्चों की देखभाल और उनका संरक्षण सुनिश्चित करेगा। साथ ही कानून के साथ विवाद की स्थिति में भी उनके हितों का ध्यान रखेगा। इसके कुछ मुख्य प्रावधानों में शामिल हैं - अधिनियम में 'किशोर' शब्द से जुड़े कई नकारात्मक संकेतार्थ को खत्म करने के लिए 'किशोर' शब्द से 'बच्चे' शब्द की नामावली में परिवर्तन। अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चों की नई परिभाषाओं को शामिल किया गया है। बच्चों के छोटे, गंभीर और जघन्य अपराध, किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) व बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारों, कार्यों और जिम्मेदारियों में स्पष्टीकरण, किशोर न्याय बोर्ड द्वारा जांच में स्पष्ट अवधि, 16 साल से ऊपर के बच्चों द्वारा किए गए जघन्य अपराध की स्थिति में विशेष प्रावधान, अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चों को गोद लेने संबंधी नियमों पर अलग नया अध्याय, बच्चों के विरुद्ध किए गए नए अपराधों को शामिल किया गया, बाल कल्याण व देखभाल संस्थानों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाया जाना। 

धारा 15 के अंतर्गत 16-18 साल की उम्र के बाल अपराधियों द्वारा किए गए जघन्य अपराधों को लेकर विशेष प्रावधान किए गए हैं। किशोर न्याय बोर्ड के पास बच्चों द्वारा किए गए जघन्य अपराधों के मामलों को प्रारंभिक आकलन के बाद उन्हें बाल न्यायालय (कोर्ट ऑफ सेशन) को स्थानांतरित करने का विकल्प होगा। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad