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नौसेना जांच रही है अपने ‘तेजस’ की क्षमताएं

देश में विकसित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के नौसेना के इस्तेमाल लायक प्रोटोटाइप्स एनपी-1 (ट्रेनर) और एनपी-2 (लड़ाकू) को रात में उड़ने में परेशानी न हो इसके लिए इन विमानों के रात्रिकालीन उड़ान परीक्षण किए जा रहे हैं।
नौसेना जांच रही है अपने ‘तेजस’ की क्षमताएं

गोवा में समुद्र तट आधारित टेस्ट फेसिलिटी आईएनएस हंसा से इन दोनों प्रोटोटाइप के रात्रिकालीन उड़ान परीक्षण जारी हैं। नौसेना के एक अधिकारी का कहना है कि रात्रिकालीन ट्रायल स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान परियोजना के लिए महत्वपूर्ण हैं। एनपी-1 और एनपी-2 के रात्रिकालीन ट्रायल पहली बार इस लोकेशन पर किए गए हैं। ये गहन ट्रायल सामान्य रनवे से किए गए हैं। अब तक दोनों विमानों के कम अवधि वाले चार-चार टेस्ट हुए हैं जिसमें उड़ान की अवधि 25 से 30 मिनट तक रही है। संबंधित अधिकारी ने बताया कि यह परीक्षण मानसून से पहले कर लेना जरूरी है क्योंकि मानसून पूर्व की हवाएं ऐसे परीक्षण के लिए अनुकूल होती हैं। अप्रैल में‌ किए परीक्षण के आधार पर इन विमानों के पैरामीटर्स में भी कुछ बदलाव किए गए हैं।

गौरतलब है कि हल्के लड़ाकू विमान की परियोजना देश के रक्षा क्षेत्र की महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। यह परियोजना देश के पुराने पड़ते मिग 21 विमानों को वायुसेना से स्‍थानापंन्न करने के लिए 1980 के दशक में आरंभ की गई थी और वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस परियोजना के तहत निर्मित सिंगल जेट इंजन और सिंगल सीट वाले हल्के लड़ाकू विमान को तेजस नाम दिया था। इस विमान का सैन्य उत्पादन भारतीय वायु सेना के लिए होने लगा है मगर नौसेना की जरूरत के हिसाब से इसमें कुछ बदलाव किए जा रहे हैं और उसके अनुसार इसका परीक्षण जारी है। उम्मीद है कि इन परीक्षणों के बाद भारतीय नौ सेना की क्षमता बढ़ाने में भी तेजस की बड़ी भूमिका रहेगी।

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