नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) के एक्जिक्यूटिव काउंसिल के प्रमुख के रूप में नृपेंद्र मिश्रा को नियुक्त किया गया है। संस्थान के बारे में सभी प्रमुख निर्णय यही काउंसिल लेता है। एनएमएमएल का पुनर्गठन इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि इसमें शामिल सदस्यों को देखते हुए इस परिवर्तन में नरेंद्र मोदी की स्पष्ट छाप दिख रही है।मिश्रा के अलावा अलावा प्रसार भारती के चेयरमैन ए सूर्य प्रकाश को भी मोदी के विश्वसनीय के तौर पर देखा जाता है। वे अब एनएमएमएल कार्यकारी परिषद के सह-प्रमुख होंगे।
इन लोगों को भी जगह
एनएमएमएल में शीर्ष दो सदस्यों के अलावा, आठ सदस्य वाले इस निकाय में तीन सदस्य और तीन पदेन सदस्य होते हैं। आईसीसीआर के चेयरमेन और भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे, राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता और शिक्षाविद कपिल कपूर को भी निकाय का सदस्य बनाया गया है। कपूर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी (आइआइएएस) के भी प्रमुख हैं। साथ ही पूर्व सरकारी सदस्य, संस्कृति मंत्रालय के दो नौकरशाह और एनएमएमएल के निदेशक शक्ति सिन्हा हैं। शक्ति सिन्हा को भी पीएम के भरोसे के लिए जाना जाता है। वे प्रधानमंत्री की प्रिय योजना प्रधानमंत्री संग्राहलय का नेतृत्व कर रहे हैं। इस संग्रहालय के जरिये सरकार आजादी के बाद के ऐतिहासिक डिसकोर्स में नेहरू के “एकाधिकार” का मुकाबला करना चाहती है।
मिश्रा रिटर्न्स
नृपेंद्र मिश्रा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव रह चुके हैं। अभी भी वे मोदी के विश्वासपात्र समझे जाते हैं। पिछले अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्विटर पर उनकी तारीफ की थी। मोदी ने ट्वीट किया था, “श्री नृपेंद्र मिश्रा सबसे उत्कृष्ट अधिकारियों में से हैं, जिनके पास सार्वजनिक नीति और प्रशासन की बहुत समझ है। जब मैं 2014 में दिल्ली आया था तब उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया और उनका मार्गदर्शन बहुत मूल्यवान था।”
इस बहाने बंगाल पर भी नजर
पूर्व केंद्रीय मंत्री एम. जे. अकबर पर लगे मीटू के आरोप के बाद अकबर की जगह प्रसाद भारती के अध्यक्ष ए .सूर्य प्रकाश को परिषद का उपाध्यक्ष बनाया गया था। इन लोगों के अलावा, पश्चिम बंगाल में भाजपा की जवाबी बौद्धिक लड़ाई के साथ नजदीकी से जुड़े हुए स्वप्न दासगुप्ता शामिल हैं। बंगाल में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं।