नागरिकता संशोधन कानून पर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने को लेकर चौकन्नी हो गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एनपीआर को अपडेट करने के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये की मंजूरी देने के साथ ही स्पष्ट किया है कि एनपीआर में नाम जुड़वाने के लिए किसी दस्तावेज की मांग नहीं की जाएगी। स्वघोषणा आधारित सूचीकरण के तहत लोग जैसा बताएंगे, उसी के अनुसार उनका नाम सूची में शामिल कर दिया गाएगा। एनपीआर में हर सामान्य निवासी का नाम सूचीबद्ध किया जाएगा। एनपीआर को अपडेट करने की प्रक्रिया अगले साल अप्रैल में शुरू हो सकती है। सूत्रों ने कहा कि यह प्रस्ताव कैबिनेट बैठक का एजेंडा है।
एनपीआर का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं
कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि एनपीआर का एनआरसी (राष्ट्रीयकता नागरिकता रजिस्टर) से कोई लेना-देना नहीं है। एनपीआर के आधार पर एनआरसी तैयार करने का भी सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। आम लोगों की संभावित आशंकाओं को दूर करते हुए उन्होंने बताया कि किसी भी निवासी से पहचान अथवा निवास स्थान का कोई दस्तावेज या सबूत नहीं मांगा जाएगा। सर्वे के समय कर्मचारी के सामने निवासी जो बताएंगे, उसी को सही मानकर दर्ज कर लिया जाएगा। जावड़ेकर ने कहा कि सरकार निवासियों पर विश्वास करती है। वे जो भी कहेंगे, वह सच होगा।
क्या है एनपीआर
एनपीआर देश के ‘सामान्य निवासियों’ की सूची है। एनपीआर के उद्देश्य से ‘सामान्य निवासी’ को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी क्षेत्र में पिछले छह महीने या अधिक समय से निवास कर रहा हो या ऐसा व्यक्ति जो उस इलाके में अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक रहना चाहता है।
अपडेट करने का किया गया फैसला
राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लिए 2010 में 2011 की जनगणना में घरों को सूचीबद्ध करने के चरण के साथ आंकड़े एकत्रित किये गये थे। वर्ष 2015 में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया गया और इन आंकड़ों का नवीनीकरण किया गया। संशोधित जानकारी को डिजिटल तरीके से संग्रहित करने का काम पूरा कर लिया गया है। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट के अनुसार अब 2021 की जनगणना के घरों को सूचीबद्ध करने के चरण के साथ अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का निर्णय लिया गया है।
असम को छोड़कर शेष सभी राज्यों में होगा ये काम
यह काम असम को छोड़कर शेष सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जाएगा। इस संबंध में इस साल अगस्त में राजपत्रित अधिसूचना जारी की गयी थी। अधिसूचना में कहा गया, ‘‘नागरिकता (नागरिक पंजीकरण और राष्ट्रीय परिचय पत्र जारी करना) नियम, 2003 के नियम 3 के उप-नियम (4) के अनुरूप केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को तैयार करने तथा अपडेट करने का फैसला करती है।’’ एनपीआर में भारत के हर सामान्य निवासी के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा
कैसे अलग है एनआरसी से?
एनपीआर और एनआरसी में अंतर है। एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छुपा है। वहीं, छह महीने या उससे ज्यादा समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।