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दिल्लीः नर्सों के मलयालम बोलने पर लगाई थी पाबंदी, विरोध के बाद हॉस्पिटल ने लिया यू टर्न

दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल ने 5 जून को एक फरमान जारी किया था जिसमें नर्सिंग स्टाफ के मलयालम बोलने पर...
दिल्लीः नर्सों के मलयालम बोलने पर लगाई थी पाबंदी, विरोध के बाद हॉस्पिटल ने लिया यू टर्न

दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल ने 5 जून को एक फरमान जारी किया था जिसमें नर्सिंग स्टाफ के मलयालम बोलने पर रोक लगा दी गई थी। अस्पताल की इस कार्रवाई पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सहित कई बड़े नेताओं ने ट्विट कर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद अब अस्पताल प्रशासन ने इस आदेश को वापस ले लिया है।अस्पताल के इस आदेश के खिलाफ दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने अस्पताल प्रशासन से इससे संबंधित आदेश वापस लेने के लिए कहा है।

दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल के एमएस को नोटिस भी दिया गया। जिसमें उनसे पूछा गया कि इस तरह का आदेश कैसे जारी किया गया।

अस्पताल का पूरा मामला-

दिल्ली के अस्पताल को शिकायत मिल रही थी कि नर्सिंग स्टाफ अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करते हैं। यह बहुत से मरीजों को समझ नहीं आती जिसके कारण मरीजों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए सभी नर्सिंग स्टाफ को निर्देश दिए गए कि बात करने के लिए केवल हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग किया जाए। नहीं तो इस पर एक्शन लिया जा सकता है। यह सर्कुलर जीबी पंत अस्पताल में 5 जून यानी कल जारी किया गया था।

इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया था कि मलयालम भी उतनी ही भारतीय भाषा है जितनी को कोई और भाषा। भाषाओं के नाम पर भेदभाव बंद किया जाए।

इस पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी आपत्ती जताई थी। उन्होंने इस मुद्दे पर ट्वीट कर लिखा कि ये आश्चर्यजनक है कि भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में एक सरकारी संस्थान अपनी नर्सों से कह सकता है कि वह उन लोगों से भी अपनी मातृभाषा में बात न करें जो उन्हें समझ सकते हैं। ये अस्वीकार्य है। यहां मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।

 

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