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मोदी के मन की 8 खास बातें, गर्मी से मौतों का जिक्र नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोगों को गर्मी में संभलकर रहने और अपना ख्‍याल रखने की सलाह जरूर दी। लेकिन भीषण गर्मी और लू से देश में हुई दो हजार से ज्‍यादा मौतों पर वह कुछ नहीं बोले।
मोदी के मन की 8 खास बातें, गर्मी से मौतों का जिक्र नहीं

नई दिल्‍ली। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी पर 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों से कई मुद्दों पर सीधा संवाद किया। पूर्व सैनिकों को 'वन रैंक, वन पेंशन' का वादा निभाने का भरोसा दिलाया तो गर्मी में लोगों को संभलकर रहने की सलाह भी दी। लेकिन भीषण गर्मी और लू से देश में हुई 2200 से ज्‍यादा मौतों पर कुछ नहीं बोले। यहां तक कि उन्‍होंने मानसून में देरी की आशंका और गर्मी से मौत के बढ़ते आंकड़े पर सरकार तैयारियों के बारे में भी कुछ नहीं बताया।

गर्मी में बीमार मत होना 

मन की बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को गर्मी में संभलकर रहने और अपना ख्‍याल रखने की सलाह दी है। उन्‍होंने कहा, चारों तरफ भयंकर गर्म हवा, गर्मी, परेशानियां उसकी ख़बरें आ रही हैं। मेरी आप सब से प्रार्थना है कि इस गर्मी के समय हम अपना तो ख़याल रखें। अपने अगल-बगल पशु-पक्षी पर भी ध्‍यान दें। परिवार के बच्‍चों को पक्षियों के लिए पानी रखने को प्रेरित करें। इससे बच्चों में अच्छे संस्कार आएंगे। गौरतलब है कि हाल की गर्मी और भीषण लू से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उड़ीसा सहित देश के कई इलाकों में अब तक कुल 2200 से ज्‍यादा लोगों के मरने की खबर है। 

छात्रों को दिया कामयाबी के गुर 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोर्ड परीक्षा में उत्‍तीर्ण छात्रों काे शुभकामनांए देते हुए कहा, अब जगत बहुत बड़ा हो चुका है। विषयों की भी सीमाएं नहीं हैं, अवसरों की भी सीमाएं नहीं हैं। आप थोड़े साहस के साथ आपकी रूचि, प्रकृति, प्रवृत्ति के हिसाब से रास्ता चुनिए। प्रचलित मार्गों पर ही जाकर के अपने को खींचते क्यों हो? आप खुद को जानिए और आपके भीतर जो उत्तम चीज़ें हैं, उसको संवारने का अवसर मिले, ऐसी पढ़ाई के क्षेत्र को चुनिए। परीक्षा में विफल छात्रों से उन्‍होेंने कहा कि ज़िन्दगी में सफलता-विफलता स्वाभाविक है। जो विफलता को एक अवसर मानता है, वो सफलता का शिलान्यास भी करता है। विफलता के बोझ में दबना मत।

सरकार को मिले डिस्टिंक्‍शन मार्क्‍स 

सरकार के एक साल पूरा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे देश ने सरकार का बारीकी से विश्लेषण किया, आलोचना की है। बहुत सारे लोगों ने उन्‍हें डिस्टिंक्शन मार्क्स भी दे दिए है। वैसे लोकतंत्र में ये मंथन बहुत आवश्यक होता है। क्या कमियां रहीं, उसको भी जानना बहुत ज़रूरी होता है। क्या अच्छाइयां रहीं, उसका भी अपना एक लाभ होता है।

8 करोड़ से ज्‍यादा लोग नई योजनाओं से जुड़े 

मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री पिछले महीने शुरू हुई प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, अटल पेंशन योजना सामाजिक सुरक्षा को लेकर काफी उत्‍साहित नजर आए। उन्‍होंने बताया कि इन योजनाओं को अभी तो बीस दिन नहीं हुए हैं, लेकिन अल्प समय में आठ करोड़ बावन लाख से अधिक लोगों ने इन योजनाओं में अपना नामांकन करवा दिया है। सामाजिक सुरक्षा की दिशा में ये हमारा बहुत अहम क़दम है। और उसका बहुत लाभ आने वाले दिनों में मिलने वाला है।

किसान चैनल खेती की ओपन यूनिवर्सिटी 

हाल ही में लांच हुए डीडी किसान चैनल को प्रधानमंत्री ने खेत खलियान की ओपन यूनिवर्सिटी करार दिया है। उन्‍होंने कहा कि  यह ऐसा चैनल है, जिसका विद्यार्थी भी किसान है, और जिसका शिक्षक भी किसान है। जमीन की उत्पादकता कैसे बढ़े, फसल में किस प्रकार से परिवर्तन लाया जाए - इन बातों को सीखना-समझना ज़रूरी है। उन्‍होंने बताया कि हर जिले में किसान मोनिटरिंग की व्यवस्था की गई। किसान इससे संपर्क ज़रूर करें।

योग बनेगा विश्‍व को जोड़ने का माध्‍यम 

प्रधानमंत्री ने कहा कि गत सितम्बर में उन्‍होंने यूनाइटेड नेशंस में संबोधन करते हुए कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग-दिवस के रूप में मानाने का प्रस्‍ताव रखा था। आश्‍चर्य की बात है कि सौ दिन के भीतर एक सौ सतत्तर देशो के समर्थन से ये प्रस्ताव पारित हो गया है। यह भारत के लिए बहुत गौरवपूर्ण घटना है। योग विश्व को भी जोड़ने का एक माध्यम बन सकता है। हम क्यों न इसके एम्बेसेडर बने! हिन्दुस्तान के हर कोने में 21 जून को जोर-शोर से योग दिवस मनाया जाए।

वन रैंक, वन पेंशन का हल निकालेगी सरकार 

केंद्र सरकार के लिए चुनौती बनी पूर्व सैनिकों की 'वन रैंक, वन पेंशन' की मांग को प्रधानमंत्री ने मन की बात में खासतौर पर उठाया। हालांकि, उन्‍होंने यह नहीं बताया कि सरकार अपने इस वादे को कब तक और किस तरीके से पूरा करेगी। लेकिन उन्‍होंने पूववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए यह जरूर कहा कि यह मुद्दा चालीस साल से सवाल उलझा हुआ है। पूर्व की सभी सरकारों ने इसकी बातें की, लेकिन किया कुछ नहीं। उन्‍होंने पूर्व सैनिकों को विश्‍वास दिलाया कि यही सरकार वन-रैंक, वन-पेंशन लागू करेगी। साथ ही यह भी माना कि वह इस मसले को जितना सरल मानते थे, उतना सरल नहीं है। सरकार 'वन रैंक, वन पेंशन' का समाधान निकालने में जुटी है। उन्‍होंने पूर्व सैनिकों से अपील की, चालीस साल तक आपने धैर्य रखा है - मुझे कुछ समय दीजिये, काम करने का अवसर दीजिये, और हम मिल बैठकर के समस्याओं का समाधान करेंगे। 

प्रधानमंत्री से साझा करें यात्रा के अनुभव 

प्रधानमंत्री ने लोगों को अपनी यात्रा के अनुभव उनके साथ साझा करने के लिए आमंत्रित किया है। मन की बात में नरेंद्र मोदी ने कहा, इस बार आप अपनी यात्रा के अनुभव मेरे साथ शेयर कर सकते हैं। सचमुच में मुझे आनंद आएगा। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इन्क्रेडिबल इंडिया हैश टैग के साथ अपनी फोटो और अनुभव ज़रूर भेजिए। उसमें से कुछ चीज़ें जो मुझे पसंद आएंगी मैं आगे औरों के साथ शेयर करुंगा। 

 

 

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