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टूरिस्ट स्पॉट बनते तीर्थों का सरंक्षण जरूरी

उज्जैन के प्रसिद्ध बाबा महाकाल मंदिर में अब श्रद्धालुओं के लिए विशेष ड्रेस कोड लागू कर दिया गया...
टूरिस्ट स्पॉट बनते तीर्थों का सरंक्षण जरूरी

उज्जैन के प्रसिद्ध बाबा महाकाल मंदिर में अब श्रद्धालुओं के लिए विशेष ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है।इतना ही नहीं भगवान शिव के विश्व विख्यात ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम के गर्भगृह में कैमरा ले जाना प्रतिबंधित हो गया है। अब श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह में दाखिल होने के पहले ही अपना फोन स्विच ऑफ कर लेंगे।पिछ्ले दिनों सोशल मीडिया पर ऐसे कई विडियोज वायरल हुए, जिन्हें देखकर भगवान शिव के भक्त आक्रोशित हो गए। भक्तों का कहना था कि इन विडियोज में नजर आ रहे लोग केदारनाथ धाम की मर्यादा भंग करने का कार्य कर रहे हैं। इन विडियोज में देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोग मंदिर परिसर में अमर्यादित व्यवहार कर रहे थे। लोगों का आचरण ऐसा था कि केदारनाथ धाम तीर्थ कम और पिकनिक स्पॉट अधिक लग रहा था। 

ऐसा नहीं है कि केदारनाथ धाम में अमर्यादित व्यवहार हाल फिलहाल में शुरु हुआ था। जब से इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वीडियो बनाने का क्रेज युवाओं में बढ़ा है, तभी से भारत के लोकप्रिय तीर्थों में अमर्यादित आचरण देखा जा रहा था। पानी तब सिर के ऊपर से गुजर गया, जब सोशल मीडिया पर केदारनाथ धाम में मांग में सिंदूर भरने, प्रपोज करने के वीडियो वायरल होने लगे। इसी घटना के बाद मंदिर प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में कैमरा प्रतिबंधित कर दिया।केदारनाथ धाम में विडियोज बनाने के अलावा भी ऐसा काफी कुछ घटित हो रहा है, जिसे लेकर बार बार आवाज उठती रही है। सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से ऐसी खबरें सामने आई हैं, जिनमें पशुओं से होने वाली क्रूरता का पता चला है। केदारनाथ मंदिर तक श्रद्धालुओं को ले जाने के लिए घोड़े और खच्चरों का इस्तेमाल किया जाता है और यह प्रक्रिया इतनी अमानवीय होती है कि इसमें हर साल हजारों पशुओं की मौत हो जाती है। इसके अतिरिक्त बाहर से आने वाले पर्यटकों द्वारा केदारनाथ धाम में शराब मांगे जाने की वीडियो भी खूब चर्चा में आई थी। हालांकि अब स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रशासन द्वारा ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं, जिनसे केदारनाथ तीर्थ की गरिमा भंग न हो। 

केदारनाथ धाम से पहले कुछ ऐसा ही घटनाक्रम उत्तराखंड के कैंची धाम में देखा गया।उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में भारतीय संत नीब करौरी महाराज का आश्रम कैंची धाम स्थित है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से लेकर पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, एप्पल कंपनी के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स से लेकर फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग का रिश्ता कैंची धाम और नीब करौरी महाराज से रहा है। यूं तो जिनकी भी आध्यात्म में रूचि रही है, वे कैंची धाम और नीब करौरी महाराज से अनभिज्ञ नहीं रहे हैं। मगर आम भारतीय को कैंची धाम और नीब करौरी महाराज के विषय में तब पता चला, जब भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बल्लेबाज विराट कोहली अपनी खराब फॉर्म के बीच में कैंची धाम आश्रम पहुंचे। कैंची धाम आश्रम से लौटने के बाद विराट कोहली ने एक के बाद एक कई शतक लगाए और इसके लिए नीब करौरी महाराज को धन्यवाद दिया। इतना ही नहीं उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा ने भी विराट कोहली के शानदार प्रदर्शन के लिए नीब करौरी महाराज का आभार व्यक्त किया। वायरल कॉन्टेंट के इस दौर में उसी दिन से कैंची धाम और नीब करौरी महाराज सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे। ट्रेंड को फॉलो करते हुए देशभर के तमाम यूट्यूबर, सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर अपना कैमरा लेकर कैंची धाम पहुंचने लगे। देखते ही देखते सोशल मीडिया से लेकर अखबारों और न्यूज चैनल्स पर कैंची धाम मंदिर परिसर की तस्वीरें और विडियोज दिखाई देने लगीं। सभी ने कैंची धाम को चमत्कारिक स्थान की तरह प्रचारित किया। इसका प्रभाव यह हुआ कि हर दिन देशभर से हजारों श्रद्धालु चमत्कार की उम्मीद में कैंची धाम पहुंचने लगे।

संत नीब करौरी महाराज द्वारा कैंची धाम मन्दिर, जब पहाड़ की शांत वादियों में स्थापित किया गया तो उसका यही उद्देश्य था कि जिन्हें ईश्वर प्राप्ति की तीव्र इच्छा हो, वही इस दिव्य स्थान पर पहुंचें। लेकिन जब स्वार्थपूर्ति के लिए भीड़ कैंची धाम पहुंचने लगी तो इसे तीर्थ से पिकनिक स्पॉट बनते देर नहीं लगी। जहां एक तरफ कैंची मंदिर के अंदर से फोटोज और विडियोज वायरल होने लगे, वहीं मंदिर के सामने से बहने वाली पवित्र शिप्रा नदी में पर्यटकों द्वारा नहाने और खाद्य एवं पेय पदार्थों के पैकेट और बोतल फेंकने के मामले भी सामने आए। इतना ही नहीं, जब भीड़ कैंची धाम की तरफ आने लगी तो स्थानीय दुकानदारों और होटल मालिकों द्वारा पर्यटकों से प्रसाद और होटल रूम के मनमाने दाम वसूले जाने लगे। जब पर्यटकों ने इस बात की शिकायत दर्ज कराई तो स्थानीय मीडिया ने इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया। 

मीडिया के अलावा नैनीताल जिले की समाजसेवी संस्था रवि रोटी बैंक हल्द्वानी ने भी कैंची धाम में भारी भीड़ से पैदा हुई अव्यवस्था के खिलाफ मुहिम चलाई। रवि रोटी बैंक हल्द्वानी के अध्यक्ष तरुण सक्सेना ने बताया कि उनकी टीम ने स्थानीय प्रशासन के माध्यम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंपा और कैंची धाम की अव्यवस्था से अवगत कराया। इसके अतिरिक्त रवि रोटी बैंक द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को जागरूक किया गया और उन्हें समझाया गया कि कैसे कैंची धाम या अन्य तीर्थों की मर्यादा बनाए रखना, हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। रवि रोटी बैंक हल्द्वानी की इस मुहिम को जनता का सहयोग मिला और इसके परिणाम सकारात्मक रहे। 

स्थानीय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भारी भीड़ से निपटने के लिए वैकल्पिक ट्रैफिक प्लान, अस्थाई पार्किंग, शटल सेवा की व्यवस्था की। इसके अतिरिक्त तत्कालीन डीएम धीराज गर्ब्याल ने पर्यटकों से अनुचित दाम वसूलने वाले दुकानदारों और होटल मालिकों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। कैंची धाम क्षेत्र के सीओ नितिन लोहनी ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने ट्रैफिक की समस्या से निपटने के लिए विशेष व्यवस्था की है। इसके अतिरिक्त पुलिस प्रशासन ने ऑपरेशन मर्यादा के तहत, शिप्रा नदी की पवित्रता भंग करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई भी की है और उनका चालान किया है। हालांकि नितिन लोहनी ने इस बात पर जोर दिया कि लोगों को शिप्रा नदी के महात्म के बारे में जानकारी दी जाए, जिससे वे स्वयं नदी की स्वच्छता का ख्याल रखें। 

तीर्थों की मर्यादा सुरक्षित रखने में मंदिर प्रशासन का बड़ा योगदान रहता है। कई बार मंदिर प्रशासन भारी भीड़ और उससे जुड़े आर्थिक पक्ष को देखकर ढील दे देता है और इसी से अव्यवस्था जन्म लेती है। परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए, कैंची धाम मंदिर समिति ने देर से सही लेकिन कठोर कदम उठाए। जहां एक ओर मंदिर के भीतर कैमरे के इस्तेमाल को प्रतिबंधित किया गया, वहीं शिप्रा नदी में जाने पर भी जुर्माना लगाया गया। इतना ही नहीं मंदिर के भीतर की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कैंची धाम सेवा दल का भी गठन किया गया। कैंची धाम सेवा दल के सदस्य तुषार सक्सेना ने जानकारी दी कि कैंची धाम में अब श्रद्धालुओं को पूर्ण से रूप से जागरूक किया जाता है और उन्हें मर्यादित आचरण के लिए प्रेरणा दी जाती है। इतना ही नहीं, अब मंदिर की व्यवस्था को बेहतर करने के लिए सामान्य भक्तों की सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है।इस पहल के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। 

वर्तमान में उज्जैन महाकाल मंदिर, बांके बिहारी मंदिर वृंदावन, खाटू श्याम मंदिर राजस्थान, ऐसे तीर्थ हैं, जहां देशभर से हजारों लोग इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स बनाने के लिए पहुंच रहे हैं। इससे एक ओर तीर्थ का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो रहा है, वहीं दूसरी ओर भक्तों की भावनाओं पर चोट पहुंच रही है। सनातन धर्म के अनुयाई यह लगातार मांग कर रहे हैं कि धर्म को चपेट में ले रहे बाजारवाद, वायरल कल्चर के विरोध में एकजुट होकर प्रयास किए जाएं। धर्म, आध्यात्म, संस्कृति भारत की आत्मा है। यदि भारत की आत्मा पर घाव होने से रोकना है तो समय रहते हुए शासन, प्रशासन और प्रबुद्ध नागरिकों को उचित कदम उठाने ही होंगे।

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