त्रिपुरा हाई कोर्ट ने राज्य के सभी मंदिरों में पशुओं या पक्षियों की बलि पर रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति अरिंदम लोध की एक खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
आदेश में कहा गया है, राज्य सहित किसी को भी राज्य के अंदर किसी भी मंदिर के प्रांगण में पशु या पक्षी की बलि देने की अनुमति नहीं होगी। पीठ ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को इस आदेश का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
पीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव को दो प्रमुख मंदिरों, देवी त्रिपुरेश्वरी मंदिर और चतुरदास देवता मंदिर में तत्काल सीसीटीवी कैमरे लगवाने का भी आदेश दिया। इन दोनों मंदिरों में बड़ी संख्या में पशुओं की बलि दी जाती है।
कुछ ने किया स्वागत तो कुछ ने उठाए सवाल
हाई कोर्ट के इस आदेश का जहां ज्यादातर लोगों ने स्वागत किया है, वहीं कुछ लोगों ने इस पर प्रश्न भी खड़े किए हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रद्योत किशोर मनिक्या ने इस कदम को उचित ठहराया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोर्ट मंदिरों में पशु बलि पर रोक लगाने का फैसला देता है तो फिर उसे ईद के दौरान भी इस प्रकार का (पशु बलि पाबंदी को लेकर) आदेश देना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश में भी लगी थी रोक
गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2014 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने भी मंदिरों मे पशुओं की बलि पर प्रतिबंध लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि ईश्वर को खुश करने के लिये बर्बर तरीके से पशु वध की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने कहा था कि पूरे राज्य में कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक धार्मिक स्थल पर किसी पशु की बलि नहीं देगा। धार्मिक स्थल के दायरे में ऐसे स्थल के निकट की उस भूमि और इमारतों को भी शामिल किया गया था जो धार्मिक उद्देश्य से संबद्ध हों।