त्रिपुरा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति विजयकुमार लक्ष्मीकांतराव धारूरकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दरअसल, एक दिन पहले एक स्थानीय टीवी चैनल ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में उन्हें कोलकाता के एक ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए दिखाया था।
समाचार चैनल ‘वनगार्ड’ के प्रबंधन निदेशक और मालिक सेबक भट्टाचार्य ने बताया कि हम साबित कर सकते हैं कि उन्होंने एक प्रिंटिंग फर्म के प्रतिनिधि और ठेकेदार सुरेन्द्र सेथिया से 5,80,000 रुपये लिए।
उन्होंने दावा किया कि कुलपति फर्म को दिए गए प्रिंटिंग के काम की कुल कीमत का 10 फीसदी रिश्वत के तौर पर मांग रहे थे। फुटेज से साफ है कि वह लगातार 10 प्रतिशत हिस्सा रिश्वत के रूप में ले रहे थे। यह स्टिंग ऑपरेशन कल प्रसारित हुआ था। भट्टाचार्य का कहना है कि उनके पास और दस्तावेज हैं और वह उन्हें भी प्रसारित करेंगे।
हालांकि तमाम कोशिशों के बावजूद इस संबंध में प्रतिक्रिया के लिए कुलपति से संपर्क नहीं हो सका। विश्वविद्यालय सूत्रों ने बताया कि कुलपति ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
पहले भी रहे हैं विवादों में
त्रिपुरा यूनिवर्सिटी के कुलपति विजयकुमार लक्ष्मीकांतराव धारुरकर का नाम तब चर्चा में आया था जब उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कैंपस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का झंडा फहराया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा था कि एबीवीपी एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन है और किसी भी पार्टी से संबंधित नहीं है। यह कार्यक्रम 10 जुलाई को कैंपस परिसर में हुआ था। धारुरकर ने कहा था, ‘मैं कार्यक्रम में गया था क्योंकि मुझे आमंत्रित किया गया था और मैं क्यों नहीं जाता? जिस संगठन की आप बात कर रहे हैं, वह राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी संगठन नहीं है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, जो जनसंघ के आने से बहुत पहले ही अस्तित्व में आ गया था. यह किसी पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं है।’ एबीवीपी का झंडा फहराने के सवाल पर धारुरकर ने कहा, ‘वहां पर भाषण हुए थे और पौधरोपण भी हुआ था। यह कार्यक्रम स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण से जुड़ा हुआ था।’ धारुरकर ने कहा कि बीते कई वर्षों से वह देशभर के हजारों संगठनों से जुड़े हुए हैं और उन्हें कुलपति होने के नाते एबीवीपी के कार्यक्रम में शिरकत करने में कुछ गलत नजर नहीं आता।