उमा भारती ने कहा कि इस काम के लिए देश की कृषि योग्य भूमि, सिंचाई के लिए उपलब्ध, भूमि, गैर सिंचित भूमि, कृषि पैदावार और उस पैदावार के लिए बाजार आदि सभी तथ्यों का आकलन करना जरूरी है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि यह सब जानकारी जुटाने के बाद उनका मंत्रालय सभी राज्यों के साथ व्यापक विमर्श करने के बाद इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेगा। नई दिल्ली में नदी जोड़ो परियोजना से संबंधित विशेष समिति की दसवीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए भारती ने कहा कि सभी राज्यों की सहमति से इस परिभाषा को अंतिम रूप दिया जाना बहुत जरूरी है। उन्होने कहा कि जब सारी जानकारी एकत्र हो जाएगी उसके बाद एक जल मंथन का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें जल से संबंधित सभी विशेषज्ञ अपनी राय रखेंगे। भारती ने नदी जोड़ो परियोजनाओं पर तेजी से काम किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, ‘मैं राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण से उम्मीद करती हूँ कि वह तेजी से काम करे और विलंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए समयबद्ध तरीके से काम करे।’
समिति की बैठक को संबोधित करते हुए बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने नेपाल से राज्य में प्रवेश करने वाली नदियों में आने वाली बाढ़ का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए राज्य में नदी जोड़ो परियोजना का तेजी से अमल किया जाना बहुत जरूरी है। सिंह ने सुझाव दिया कि दो लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचित करने वाली परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए। उत्तर प्रदेश के जल संसाधन राज्य मंत्री सुरेन्दर सिंह पटेल ने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर शीघ्र काम शुरू किए जाने का आग्रह किया। उन्होंने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय से यह भी जानना चाहा कि इस परियोजना पर कुल कितनी लागत आएगी और उसमें उत्तर प्रदेश का कितना हिस्सा होगा।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की 24 जुलाई, 2014 को हुई बैठक में नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति के गठन को मंजूरी दी गई थी। इसे 23 सितम्बर, 2014 के आदेश के तहत गठित किया गया। इसकी पहली बैठक 17 अक्टूबर, 2014 को आयोजित की गई थी और पिछली बैठक 29 अप्रैल, 2016 को हुई थी। समिति सभी हितधारकों की राय पर विचार करने के बाद संदर्भो के तहत नदियों को आपस में जोड़ने के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।