जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जश्न का माहौल है। जेएनयू के एकेडमिक ब्लाक में आजादी-आजादी के नारे लग रहे हैं। आज देशद्रोह मामले में आरोपी जेएनयू छात्र उमर खालिद और अनिर्बान को पटियाला हाउस कोर्ट से छह महीने की अंतरिम जमानत मिल गई। इसका जेएनयू यूनियन और वहां के अध्यापकों को बेसब्री से इंतजार था। उमर खालिद और अनिर्बान को आज देर शाम तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। इन दोनों को 9 फरवरी को जेएनयू में अफजल गुरू की फांसी को चुनौती देने वाले कार्यक्रम को करने के आरोप में 23 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने दोनों को 25-25 हजार के मुचलके पर जमानत दी है।
अदालत ने ने कहा कि दोनों बिना इजाजत दिल्ली नहीं छोड़ेंगे और जांच अधिकारी के कहने पर जांच में शामिल होंगे। अदालत ने कहा कि दोनों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। लिहाजा, ऐसा नहीं लगता कि वे कानून से भाग जाएंगे। कन्हैया को जमानत दी गई, समानता के आधार पर इनको भी जमानत मिलनी चाहिए। वहीं, पुलिस ने कहा है कि घटना के दिन के वीडियो को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट आने में वक्त लगेगा। दोनों आरोपी उच्च शिक्षित हैं, जिन्होंने दिल्ली विवि के प्रतिष्ठित कालेज से पढ़ाई की है। ये जेएनयू से एमफिल और एम.ए और पीएचडी कर रहे हैं। दोनों 5-6 साल से जेएनयू में रह रहे हैं। हालांकि पुलिस ने दोनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उमर और अनिर्बान ने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि जांच एजेंसियों को अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। साथ ही कन्हैया को जमानत मिल चुकी है, लिहाजा उन्हें ज़मानत दी जाए। गौरतलब है कि यह भी खबर आ रही है कि जेएनयू के उच्च स्तरीय जांच पैनल ने देशद्रोह मामले में उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को वैमनस्यता, जातिगत या क्षेत्रीय भावनाएं भड़काने या छात्रों के बीच कटुता फैलाने का ‘दोषी’ पाया है।
जेएनयू छात्रसंघ ने इसे अपने संघर्ष की जीत बताई है और कहा है कि जेएनयू को बदनाम करने की संघी साजिश को आज अदालत में मात खानी पड़ी।