उत्तर प्रदेश की एक विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने पुलिस को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती को गिरफ्तार करने और 9 दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया है, क्योंकि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पेश नहीं हुए थे।
विशेष सरकारी वकील नीलिमा सक्सेना ने गुरुवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि अदालत ने चिन्मयानंद के खिलाफ उनकी शिष्या द्वारा यहां एक पुलिस थाने में दर्ज कराए गए यौन शोषण के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
सक्सेना ने कहा कि उनके वकील ने अर्जी देते हुए कहा कि चिन्मयानंद ने उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की है, जिस पर छह दिसंबर को सुनवाई होनी है। इसलिए उन्हें पेश होने के लिए समय दिया जाना चाहिए, लेकिन न्यायाधीश अस्मा सुल्ताना ने समय देने से इनकार कर दिया।
जज ने कहा कि चिन्मयानंद को सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवंबर को सरेंडर करने का समय दिया था लेकिन वह पेश नहीं हुए इसलिए इस अवधि को नहीं बढ़ाया जा सकता है।
सक्सेना ने कहा कि कोर्ट ने पुलिस को उसे गिरफ्तार कर 9 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।
2011 में उनकी शिष्या की शिकायत पर मुमुक्षु आश्रम के संस्थापक चिन्मयानंद के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज किया गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में जिलाधिकारी के माध्यम से अदालत को मुकदमा वापस लेने के लिए पत्र भेजा था, लेकिन पीड़िता ने इसका विरोध किया था।
नाम वापसी की अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया था और उसके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था।
तब चिन्मयानंद ने केस वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में अपील की थी और वहां खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। लेकिन शीर्ष अदालत ने उनकी अपील भी खारिज कर दी।
सक्सेना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 30 नवंबर तक शाहजहांपुर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए।