इस महीने की 18 जुलाई से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत होने जा रही है लेकिन इससे पहले 'अंससदीय' शब्दों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। दरअसल, लोकसभा सचिवालय ने ‘असंसदीय शब्द 2021’ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिन्हें ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है। लोकसभा एवं राज्यसभा में बहस के दौरान यदि इन शब्दों का इस्तेमाल यदि सांसद करेंगे तो उन्हें ‘असंसदीय’ माना जाएगा और उन्हें सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा। इसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। वहीं, अब संसद में बैन किए गए शब्दों की सूची पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है, “‘करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ, वाह मोदी जी वाह!’ यह प्रसिद्ध मीम अब सच होता नज़र आ रहा है!” वहीं, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस सूची को लेकर कहा, “क्या ‘सच’ असंसदीय है?”
कांग्रेस ने 'जुमलाजीवी' और कई अन्य शब्दों को ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखे जाने को लेकर गुरूवार को सरकार पर ‘लोकतंत्र का अपमान’ करने का आरोप लगाया और कहा कि वह संसद के दोनों सदनों में इन शब्दों का इस्तेमाल करती रहेगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की शासन शैली का सही वर्णन करने वाले शब्दों को बोलने पर अब प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘नए भारत के लिए यह नया शब्दकोष है।’’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दावा किया, ‘‘सरकार की मंशा है कि जब वह भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं बल्कि, भ्रष्टाचार को 'मास्टरस्ट्रोक' बोला जाए, "2 करोड़ रोजगार", "किसानों की आय दुगनी" जैसे जुमले फेंके, तो उसे जुमलाजीवी नहीं बल्कि ‘थैंक यू' बोला जाए।’’
उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल किया, ‘‘संसद में देश के अन्नदाताओं के लिए आंदोलनजीवी शब्द किसने प्रयोग किया था?’’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संसद की कार्यवाही के नियमों से जुड़ी पुस्तिका पहले से मौजूद है और इसके अतिरिक्त सरकार कुछ थोपना चाहती है तो उसे स्वीकारा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को घेरने के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता रहेगा।
पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोकतंत्र का गला घोंटने का मैं गुजरात में गवाह रहा हूं जब नरेंद्र मोदी जी मुख्यमंत्री थे...आज तक किसी सदन में ‘जुमलाजीवी’, ‘भ्रष्ट’, ‘आप झूठ बोल रहे हैं’, ‘आप नौटंकी कर रहे हैं’ जैसे शब्दों और वाक्यों को असंसदीय नहीं माना गया। भाजपा के लोग विपक्ष में रहते हुए इन शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे।’’ उन्होंने आरोप लगाया,‘‘ जुमलाजीवी जैसे शब्द प्रधानमंत्री पर चिपक रहे थे, इसलिए इन्हें बोलने से रोका गया है... भाजपा सरकार का यह कार्यकाल लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा। यह लोकतंत्र का अपमान है।’’
गोहिल ने कहा, ‘‘मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से कहना चाहता हूं कि आप दोनों सदन के संरक्षक हैं, आप यह कैसे होने दे सकते हैं?’’ गोहिल ने कहा, ‘‘हम इस मंच से लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से आग्रह करते हैं और आगे आधिकारिक रूप से भी कहेंगे कि संसद की यह परंपरा नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘जुमलेबाजी’ ‘जुमलाजीवी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहेंगे।
वहीं, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार को उन्हें निलंबित करने की चुनौती दी और संसद में इन शब्दों का उपयोग जारी रखने की कसम खाई। लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने यह भी कहा कि केंद्र ने उन सभी शब्दों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिनका इस्तेमाल भाजपा की कार्यशैली का वर्णन करने के लिए किया जा सकता है।
सदन में कुछ शब्दों पर पाबंदी लगाने पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, "आज कहते हैं कि यह शब्द इस्तेमाल नहीं हो सकते, कल कहेंगे कि संसद में आना है तो भगवा कपड़े पहनकर आओ। इन चीज़ों को देखने के लिए संसद में नियम और नैतिक समितियां हैं। यह दूसरा संसद बनाकर दूसरा गणतंत्र बनाते जा रहे हैं।"
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है, “लोकसभा और राज्यसभा के लिए असंसदीय शब्दों की सूची में ‘संघी’ शामिल नहीं है। दरअसल, सरकार ने हर उस शब्द को बैन कर दिया है जिसके ज़रिए विपक्ष ये बताता है कि बीजेपी कैसे भारत को बर्बाद कर रही है।”
राज्यसभा के एलओपी मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से हुआ। खड़गे ने कहा, "वे जब खुद कहते हुए आए हैं आज उनको क्यों लग रहा है कि यह शब्द ठीक नहीं है। संसद में एक किताब बनती है जिसमें लिखा होता है कि कौन से शब्द असंसदीय हैं और कौन से संसदीय होते हैं। उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी ने) जो शब्द अपने संसदीय जीवन में कहे और बोले हैं वही शब्द हम बोलेंगे और उनको बताएंगे कि उनकी बहस में उन्होंने क्या कहा।"
राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "जब लोकतंत्र के मंदिर में अपने अधिकारों के लिए लड़ने वालों को आंदोलनकारी कहा जा सकता है, तो जुमलावीर जुमलाजीवी क्यों नहीं है?"
वहीं, आप नेता राघव चड्डा ने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "सरकार ने आदेश निकाला है कि संसद में सांसद कुछ शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते। उन शब्दों की सूची पढ़कर लगता है कि सरकार बखूबी जानती है कि उनके काम को कौन से शब्द परिभाषित करते हैं। जुमलाजीवी कहना असंसदीय हो गया है लेकिन आंदोलनजीवी कहना असंसदीय नहीं हुआ।"
एआईएमआईएस चीफ ओवैसी ने भी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार को घेरा है और कहा, "असंसदीय भाषा अहम नहीं है वह किस संदर्भ कहा गया है वह महत्वपूर्ण है। अगर में संसद में बोलूं कि 'मैं मोदी सरकार पर फूल फेंक कर मारुंगा क्योंकि उन्होंने देश के नौजवानों को बेरोज़गार बना दिया' तो क्या वे 'फूल' को असंसदीय घोषित कर देंगे?"
उल्लेखनीय है कि संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सदस्य अब चर्चा में हिस्सा लेते हुए जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिठ्ठू जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे । ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जायेगा और वे सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे।
दरअसल, लोकसभा सचिवालय ने ‘‘ असंसदीय शब्द 2021 ’’ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिन्हें ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है।
संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले, सदस्यों के उपयोग के लिये जारी किये गए इस संकलन में ऐसे शब्द या वाक्यों को शामिल किया गया है जिन्हें लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानमंडलों में वर्ष 2021 में असंसदीय घोषित किया गया था ।