देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। तीसरे लहर के दिसंबर में आने की संभावना है। करीब डेढ़ साल से पूरा विश्व इस खतरनाक महामारी की चपेट में है। लाखों लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। वहीं, देशों की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। सबसे पहले ये मामला चीन के वुहान शहर में आया था। लेकिन, उसके बाद से लगातार सवाल उठते रहे हैं कि क्या इस वायरस के पीछे चीन की कोई चाल है? अमेरिकी रिपोर्ट ने बताया है कि वायरस के वुहान की लैब से हीं लीक होने की संभावना है। दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर लगातार स्टडी और रिसर्च जारी है। रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि वायरस चीन की वुहान लैब से हीं लीक हो सकता है।
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सोमवार को अमेरिकी रिसर्च के हवाले से द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में इस पर विस्तृत जानकारी दी है और छापा है। अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसियां दो विषयों पर जांच कर रही है। वायरस चीन की वुहान लैब में किसी घटना के बाद इंसानों में फैला है। वहीं, क्या वायरस से संक्रमित कोई जानवर इंसानों के संपर्क में आया। अभी फिलहाल लैब से वायरस के लीक होने वाली थ्योरी को लेकर जांच एजेंसी को पूरी संभावना है कि ये वायरस चीन के वुहान लैब से हीं लीक हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस अध्ययन को मई 2020 में कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी ने रिसर्च पर काम करना शुरू किया था। ट्रंप सरकार के हटने से ठीक पहले स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से वायरस के मूल स्त्रोत को लेकर जांच करने के आदेश दिए थे। लॉरेंस लिवरमोर का मूल्यांकन कोविड-19 वायरस के जीनोमिक एनालिसिस पर आधारित है।
कुछ हीं दिनों पहले भारतीय वैज्ञानिकों ने भी दावा किया था कि वायरस के वुहान की लैब से हीं फैलने की संभालना है। महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले वैज्ञानिक दंपत्ति डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर ने इस संबंध में दुनिया के कई देशों के लोगों से इंटरनेट पर संपर्क कर सबूत एकट्ठा किया है। जिनमें मुख्य रूप से ट्वीटर और ओपन सोर्स शामिल हैं।
इन लोगों ने अपने टीम को ड्रैस्टिक (डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोनॉमस सर्च टीम इनवेस्टिगेटिंग कोविड-19) का नाम दिया है। जिनका अभिमत है कि कोरोना चीन के मछली बाजार से नहीं बल्कि वुहान की लैब से ही निकला है। इस थ्योरी को पहले भी कई लोग षड्यंत्र बताकर खारिज कर चुके हैं, लेकिन इनकी टीम ने फिर से दुनिया का ध्यान इस ओर केंद्रित किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस मामले की जांच के लिए आदेश दिए हैं।
ड्रैस्टिक टीम चीनी दस्तावेज का अनुवाद कर अपने लेवल पर इसकी जांच कर रही है। चाइनीज एकेडमिक पेपर और गुप्त दस्तावेजों के मुताबिक इसका प्रारंभ वर्ष 2012 से हुआ था। उस दौरान 6 खदान मजदूरों को यन्नान के मोजियांग में उस माइनशाफ्ट को साथ करने भेजा गया था जहां चमगादड़ों का काफी आतंक था। जिसके बाद उन मजदूरों की वहीं मौत हो गई। वर्ष 2013 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. शी झेंगली और उनकी टीम ने माइनशाफ्ट से सैंपल अपनी लैब में टेस्ट करने लाया था।