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उत्तराखंडः प्रधान न्यायाधीश तय करेंगे आज सुनवाई होगी या नहीं

केंद्र ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन खारिज करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
उत्तराखंडः प्रधान न्यायाधीश तय करेंगे आज सुनवाई होगी या नहीं

महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा एवं न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र किया। पीठ ने महाधिवक्ता से मामले को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कराने की खातिर सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से संपर्क करने को कहा। पीठ ने कहा कि याचिका को एक उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर से अनुमति लेगी।

महाधिवक्ता ने शुरुआत में कहा कि विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) आज सुबह दायर कर दी गई है लेकिन हमारे पास फैसले की प्रति नहीं है क्योंकि लिखित फैसला उपलब्ध नहीं है और केवल मौखिक फैसला सुनाया गया था। प्रधान न्यायाधीश राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों एवं न्यायाधीशों के पूर्व निर्धारित सम्मेलन में भाग ले रहे थे इसलिए प्रधान न्यायाधीश की अदालत में न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ बैठी थी।

इस बीच कांग्रेस के बागी नौ विधायकों ने भी 29 अप्रैल को सदन में होने वाले शक्तिपरीक्षण में उनके हिस्सा लेने पर रोक वाले उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। हालांकि उत्तराखंड हाई कोर्ट से इस मसले में कल विस्तृत फैसला आने वाला है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश की गैर मौजूदगी के कारण इस मामले को सूचीबद्ध कराने के लिए कुछ प्रबंध करने होंगे। महाधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि आज और सोमवार के बीच स्पष्ट रूप से समस्या पैदा होने की आशंका है। रोहतगी ने कहा, मैं आज ही रोक लगाए जाने पर जोर देना चाहता हूं।

 

कांग्रेस के उन नौ विद्रोही विधायकों ने भी याचिका दायर की जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य करार दे दिया था। उन्होंने 29 अप्रैल को सदन में शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया से उन्हें दूर रखने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। महाधिवक्ता के साथ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह एवं तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी थे। महाधिवक्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय के कल सुनाए गए फैसले को चुनौती देने के लिए आज सुबह एसएलपी दायर की गई। कांग्रेस पार्टी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तंखा पेश हुए।

 

उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 356 के तहत 27 मार्च को की गई घोषणा के लिए केंद्र से नाराजगी जताते हुए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को कल निरस्त कर दिया और हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया। अदालत ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को उखाड़ने के लिए केंद्र को फटकार लगाई थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रपति शासन लगाना उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत है। रावत सरकार की बहाली का आदेश देते हुए अदालत ने कहा था कि अपदस्थ मुख्यमंत्री को अनिवार्य रूप से 29 अप्रैल को विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करना होगा।

 

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