कथित तौर पर उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से जुड़ी नोएडा स्थित फार्मास्युटिकल फर्म मैरियन बायोटेक का उत्पादन लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। जबकि इसके विवादास्पद खांसी की दवाई के नतीजों का इंतजार है। उत्तर प्रदेश के एक ड्रग अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय एजेंसियों और उत्तर प्रदेश औषधि विभाग की एक टीम ने 29 दिसंबर को यहां कंपनी के कार्यालय का निरीक्षण किया था और जांच के लिए छह और नमूने लिए थे।
गौतम बौद्ध नगर ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने कहा कि निरीक्षण के दौरान, कंपनी के प्रतिनिधि 'डॉक -1 मैक्स' खांसी की दवाई के उत्पादन से संबंधित दस्तावेज पेश नहीं कर सके, जिसके कारण सरकार ने इसके उत्पादन को तुरंत रोकने का आदेश दिया।
बब्बर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''फर्म का उत्पादन लाइसेंस निलंबित है, जैसा कि 29 दिसंबर को आदेश दिया गया था।
जांच के नतीजों की स्थिति के बारे में अधिकारी ने कहा कि नमूने केंद्रीय एजेंसियों ने लिए थे और उनके नतीजे अभी आने बाकी हैं।"
मैरियन बायोटेक ने भारत में खांसी की दवाई 'डॉक -1 मैक्स' नहीं बेची और इसका एकमात्र निर्यात उज्बेकिस्तान को किया गया है। बब्बर ने पहले पीटीआई को बताया था और अनुमान लगाया था कि कंपनी ने 45 दिनों में लगभग 1 लाख सिरप का निर्यात किया है।
फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों के लिए भारत की केंद्रीय नियामक संस्था, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने कथित तौर पर मैरियन बायोटेक से जुड़े उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत के मामले में जांच शुरू की है।
उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि 18 बच्चों ने खांसी की दवाई का सेवन किया था।
मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि हसन हैरिस ने पहले कहा था कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले को देख रही हैं।
मामला सामने आने के बाद कंपनी ने कफ सिरप का उत्पादन बंद कर दिया था।