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देश में जजों की कमी, उच्च न्यायालयों में 392 पद खाली

एक महीने के भीतर उच्च न्यायालयों के आठ न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं जिससे देश के उच्च न्यायालयों में रिक्तियों का आंकड़ा बढ़कर इस महीने 392 हो गया। अगस्त में यह आंकड़ा 384 था। यह ऐसे समय में हुआ है जब उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नई नियुक्ति करने या उन्हें पदोन्नत करने का कोई तंत्र नहीं है।
देश में जजों की कमी, उच्च न्यायालयों में 392 पद खाली

कानून मंत्रालय के ताजा आंकड़े के अनुसार देश के उच्च न्यायालय 392 न्यायाधीशों की कमी का सामना कर रहे हैं। जबकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत पदों की संख्या 1,017 है। एक अगस्त तक के आंकड़े के अनुसार रिक्तियों की संख्या 384 थीं, जबकि एक मई तक उच्च न्यायालयों में 366 न्यायाधीशों की कमी थी। उच्च न्यायालयों में तब 651 न्यायाधीश थे। इस प्रकार देश के 24 उच्च न्यायालयों में अब 625 न्यायाधीश हैं। न्याय विभाग द्वारा तैयार ताजा ब्यौरे के अनुसार दो न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए हैं। वहीं इलाहाबाद, कलकत्ता, गुजरात, कर्नाटक, केरल और पटना उच्च न्यायालयों से एक-एक न्यायाधीश सेवानिवृत्त हुए हैं। इस आंकड़े में सात सितंबर को सेवानिवृत्त हुए बम्बई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह का नाम शामिल नहीं है।

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून के साथ जहां कॉलेजियम प्रणाली को खत्म कर दिया गया है, वहीं नई इकाई को अभी आकार लेना बाकी है। कॉलेजियम प्रणाली के तहत उच्च न्यायापालिका के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति और पदोन्नति की सिफारिश न्यायाधीश किया करते थे। कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने वाला नया कानून इस साल 13 अप्रैल को प्रभाव में आया था।

उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग में शामिल होने से इनकार कर दिए जाने से न्यायिक नियुक्ति आयोग के तत्काल गठन के सारे अवसर फिलहाल स्थगित है गए हैं। दत्तू ने 25 अप्रैल को प्रधानमंत्री को अपने पत्र में लिखा, दो प्रसिद्ध व्यक्तियों के चयन के लिए बैठक में शामिल होने के वास्ते आपके कार्यालय से मिली कॉल के जवाब में, मैं कहना चाहता हूं कि जब तक न्यायालय एनजेएसी की वैधता पर फैसला नहीं दे देता तब तक बैठक में शामिल होना या एनजेएसी का हिस्सा होना, न तो उचित है और न ही वांछनीय।

इस प्रकार नई प्रणाली अनिश्चय की स्थिति में हो गई। इसवजह से कोई भी न्यायाधीश किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत नहीं हो सकता, उच्च न्यायालय में स्थानांतरित नहीं हो सकता या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत नहीं हो सकता क्योंकि इस समय इस संबंध में कोई प्रणाली कार्य में नहीं है। क्योंकि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायाधीशों को पदोन्नत करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए गौहाटी, गुजरात, कर्नाटक, पटना, पंजाब और हरियाणा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उच्च न्यायालयों का नेतृत्व फिलहाल कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश कर रहे हैं।

 

 

 

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