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ब्लॉग : चेहरे की बनावट और रंग के आधार पर जब हम इंडियन से ही पूछते हैं, "आर यू फ्रॉम जापान-नेपाल-चीन?"

तारीख- 19/10/2021, रात के करीब 10:30 बज रहे होंगे। दिल्ली के बॉटनिकल गार्डन से मेजेंटा लाइन पर चलने वाली...
ब्लॉग : चेहरे की बनावट और रंग के आधार पर जब हम इंडियन से ही पूछते हैं,

तारीख- 19/10/2021, रात के करीब 10:30 बज रहे होंगे। दिल्ली के बॉटनिकल गार्डन से मेजेंटा लाइन पर चलने वाली मेट्रो जनकपुरी वेस्ट की ओर बढ़ रही थी। आम दिनों की तरह जितनी भीड़ इस ट्रेन में इस वक्त के समय होती है, थी। मैंने भी सुखदेव विहार से मेट्रो जनकपुरी के लिए लिया था। एक-दो स्टेशन बाद पांच नॉर्थ-इस्ट के रहने वाले लड़के-लड़कियां मेट्रो में चढ़ती हैं। मेरे ठीक सामने वाली सीट पर वो सभी बैठ जाते हैं।

उसके एक स्टेशन बाद एक व्यक्ति, जो साकेत मेट्रो स्टेशन से आ रहा था, कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन पर इस मेट्रो में चढ़ता है। इस व्यक्ति के हाथ में शराब, एक पानी वाले बोतल में भरी होती है। शायद इसने कुछ मात्रा में पहले से पी रखी थी, मेरे एक सीट छोड़कर बैठता है।

अचानक ये व्यक्ति सामने बैठे नॉर्थ-ईस्ट लोगों से पूछता है, "आर यू फ्रॉम इंडिया।" वो लोग कुछ नहीं बोलते हैं। फिर ये शख्स पूछता है, "आर यू फ्रॉम जापान, आर यू फ्रॉम नेपाल, आर यू फ्रॉम चीन।" फिर भी ये लोग कोई जवाब नहीं देते हैं। फिर ये व्यक्ति पूछता है, "एक रुपय के कितने पैसे।" इस वाक्य से इस व्यक्ति के कहने का मतलब रुपयों की वैल्यू से होता है। अचानक बैठे नॉर्थ-ईस्ट लोगों में से एक लड़की गुस्से में बोलती है, "वी आर फ्रॉम जापान।"

जिसके बाद मुझे एक बात जोर से खटकती है कि क्या हम ऐसे किसी की भी पहचान पूछ सकते हैं? क्या हम चेहरे की बनावट और रंग के आधार पर किसी को लेकर इस तरह की अवधारणा मन में उत्पन्न कर सकते हैं कि ये कहां का रहने वाला है?

मैंने उस व्यक्ति को टोका, पूछा- "आपको किसने ये अधिकार दिया है कि आप उनसे पूछो कि आर यू फ्रॉम इंडिया और...? जिसके बाद उसने थोड़ी-बहुत मुझसे बदतमीजी करनी शुरू कर दी।"

मुझे कई साल पहले पढ़ा एक वाकया याद आने लगा जिसमें जाने-माने पत्रकार शशि शेखर ट्रेन यात्रा के बारे में लिखते हैं कि उनके सामने एक नाइजीरिया की महिला बैठी हुई थी, जिसने अपने साथ इंडिया में होने वाले भेदभाव का जिक्र किया था।

मैंने सीआईएसएफ से इस बात की शिकायत की। तब तक मेट्रो शंकर विहार होते हुए आईजीआई टर्मिनल की ओर पहुंच चुकी थी। प्रशासन ने इसे प्रमुखता से लेते हुए तुरंत मेट्रो में आकर हालात की जानकारी ली और उस व्यक्ति से पूछताछ शुरू की। जब नॉर्थ-ईस्ट व्यक्ति से सीआईएसएफ ने पूछा कि क्या आप इनके खिलाफ कंप्लेन करना चाहते हैं तो सभी ने एक सुर में बोला, हां...। जिसके बाद सीआईएसएफ और मेट्रो की टीम उस व्यक्ति को साथ ले गई। 

एक शिकायत रिपोर्ट देने के बाद मैंने भी फिर वहां से अपने गंतव्य के लिए दूसरी मेट्रो ले ली। उस मेट्रो में नॉर्थ-ईस्ट के लोग भी थे, जिन्होंने कई बार शुक्रिया दोहराया। उनके साथी स्वर्णिम ने बताया, "हम दार्जलिंग से आते हैं। यहां दिल्ली में जॉब की तलाश में आए हुए हैं। वहां अवसर कम हैं। कई बार हमें ये सब सुनना पड़ता है। मारपीट नहीं कर सकते हैं, इसलिए चुप रहना पड़ता है।" आगे उन्होंने बताया, "जिस वक्त वो व्यक्ति हमसे हमारी पहचान पूछ रहा था, हम गुस्से में थे। अंदर ही अंदर सवाल उठ रहे थे कि क्या हम इंडियन जैसे नहीं दिखते हैं? सच तो ये है कि इन्होंने इंडिया नहीं देखा है।"

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