व्यापमं की व्यापकता दिनो-दिन बढ़ती ही जा रही है। इसकी आंच अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट तक पहुंच गई है। आज कांग्रेस ने व्यापम में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम लिया है और उन्हें हटाने की मांग की है। खबर है कि आने वाले दिनों में कई और मंत्रियों का भी नाम उजागर हो सकता है। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में बेचैनी है।
इससे पहले व्यापमं में केंद्रीय मंत्री उमा भारती का नाम भी आ चुका है। उनका नाम व्यापमं में गलत ढंग से परीक्षार्थियों को भर्ती कराने की सिफारिश करने वालों में आया था।
उधर सीबीआई ने आज दो एफआईआर दर्ज की है-पहली पीएमटी २०१० को हुई परीक्षा में २१ परिक्षार्थियों के खिलाफ और दूसरी २०११ में प्री-पीजी परीक्षा में आठ आरोपियों के खिलाफ। इससे मध्य प्रदेश सरकार पर भी दबाव बनना शुरू हुआ है।
ऐसा लग रहा है कि मोदीगेट(ललितमोदी आईपीएल घोटाले) के बाद व्यापमं भी केंद्र सरकार के लिए मुश्किलें खड़ा करेगा। अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में अपनी चुप्पी कायम रखी है। कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी निशाना साधा हुआ है। आज दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाता सम्मेलन करके धर्मेंद्र प्रधान की व्यापमं में संलप्पता का मुद्दा उठाया। उन्होंने मांग की कि धर्मेंद्र प्रधान को तुरंत हटाया जाना जाहिए। दरअसल २०१३ के इनकम टैक्स के छापों में व्यापमं के मुख्य आरोपी और खनन माफिया सुधीर शर्मा के यहां से जो कागजात बरामद हुए थे, उनसे साफ होता है कि धर्मेंद्र प्रधान के आने-जाने का व्यय सुधीर शर्मा उठाते थे। वैसे सुधीर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से जुड़े कई गणमान्य लोगों का खर्च वहन उठाते थे, जिनमें संघ के नेता सुरेश सोनी, भाजपा के राज्यसभा सांसद ए. दवे, भाजपा के उपाध्यक्ष प्रभात झा और उनके बेटे तुश्मुल झा तथा आयतम झा आदि के नाम शामिल हैं।