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ममता ने खुद पेश किया बजट, मोदी की स्कीम पर लगाई मुहर

शुक्रवार को पश्चिम बंगाल राज्य विधानसभा में बिना वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अंतरिम...
ममता ने खुद पेश किया बजट, मोदी की स्कीम पर लगाई मुहर

शुक्रवार को पश्चिम बंगाल राज्य विधानसभा में बिना वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अंतरिम बजट पेश किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में 2.99 लाख करोड़ रुपये का लेखानुदान पेश किया और किसानों की वार्षिक सहायता में वृद्धि सहित कई घोषणाएं कीं। सदन में इसके पारित होने से पूर्व अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के पहले कुछ महीनों के आकलन पर अगले दो दिन तक चर्चा होगी। यह लेखानुदान ऐसे समय आया है जब सभी की नजरें राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव पर हैं जहां भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 

बनर्जी ने विधानसभा में कहा कि उनकी सरकार ने केंद्र से आवश्यक सहायता न मिलने के बावजूद राज्य के समूचे विकास के लिए लगातार काम किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए 20 लाख घर बनाने और कच्चे घरों को पक्के घरों में तब्दील करने का निर्णय किया है। हम परियोजना के लिए 1,500 करोड़ रुपये का आवंटन कर रहे हैं। हमने सरकार से मान्यताप्राप्त मदरसों को सहायता उपलब्ध कराने का भी फैसला किया है तथा इसके लिए 50 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।’’ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार की ‘कृषक बंधु’ योजना के तहत वार्षिक सहायता 5,000 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये कर दी गई है। 

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने यह भी कहा कि उनकी सरकार बंगाल में केंद्र की ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ योजना को क्रियान्वित करने पर सहमत हो गई है। अवसंरचना विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए बनर्जी ने कहा कि राज्य में अगले पांच साल में 46,000 हजार किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कें बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार की बंगाल में 1.5 करोड़ नयी नौकरियां सृजित करने की योजना है। 

बनर्जी ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में एक राज्यस्तरीय आयोग बनाने की भी सरकार की योजना है। उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रत्येक जिले में जय हिन्द भवन तथा न्यूटाउन में आजाद हिन्द स्मारक बनाएंगे।’’ अस्वस्थ चले रहे वित्त मंत्री अमित मित्रा आज विधानसभा सत्र में मौजूद नहीं थे। इस दौरान भाजपा विधायक आसन के समक्ष आ गए और मांग करने लगे कि लेखानुदान मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि मित्रा पढ़ें। इसके बाद वे सदन से बाहर चले गए। वाम मोर्चे और कांग्रेस के विधायकों ने भी सत्र का बहिष्कार किया।

 

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