राज्यसभा में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद की विदाई के दौरान भावुक हो गए। संसद में जम्मू-कश्मीर के मुद्दों को लगातार उठाने वाले आजाद 15 फरवरी को रिटायर हो जाएंगे। आजाद 2014 के बाद से विपक्ष के नेता की सीट पर काबिज थे जो अब खाली हो जाएगी। लिहाजा अब हर कोई दुविधा में है कि विपक्ष का अगला नेता कौन बनेगा?
आजाद ने दो दशकों से ज्यादा समय तक कांग्रेस को अपनी सेवाएं दी है। आजाद पहली बार 1990 में महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य बने। इसके बाद वह 1996 में अपने गृह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर चले गए। उन्होंने 2006 तक राज्यसभा में कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भी काम किया और फिर वह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन गए। इतना ही नहीं वह गांधी परिवार के सबसे विश्वासपात्र सहयोगी नेता भी हैं।
2014 में कांग्रेसनित यूपीए सरकार को घाटी से बाहर कर दिया गया था। जिसके बाद गुलाम नबी आजाद को विपक्ष के नेता (एलओपी) के रूप में चुना गया। हालांकि अब लद्दाख से अलग होने के बाद और केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद जम्मू और कश्मीर में एक निर्वाचित विधानसभा नहीं है।
केरल सीट?
केरल की तीन राज्यसभा सीटें अप्रैल में खाली हो जाएंगी, जिनमें से एक कांग्रेस के पास है। आजाद केरल से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, यह संभावना नहीं है कि केरल के लोग अपने प्रतिनिधि के रूप में एक बाहरी व्यक्ति का चुनाव करेंगे।
विपक्ष का अगला नेता कौन?
फिलहाल विपक्ष के नेता की रेस में चार प्रमुख चेहरे हैं - आनंद शर्मा, मल्लिकार्जुन खड़गे, पी चिदंबरम और दिग्विजय सिंह।
इनमें से आनंद शर्मा, राज्यसभा के दिग्गज वर्तमान में डिप्टी एलओपी के पद पर हैं। हालांकि, शर्मा जी -23 सदस्य भी हैं और यह उनके खिलाफ हो सकता है।
पी चिदंबरम और दिग्विजय सिंह दोनों ही पार्टी की विचारधाराओं से स्वतंत्र अपनी मजबूत राय के लिए जाने जाते हैं। यह पुरानी पार्टी के लिए समस्याग्रस्त हो सकता है।
वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे एलओपी के लिए संसद की दौड़ में सबसे आगे हैं। वह कांग्रेस के भरोसेमंद सदस्य हैं और गांधी-निष्ठावान हैं। इतना ही नहीं उनके कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ अच्छे संबंध भी हैं।