इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के करीब 83,000 कर्मचारी मंगलवार से हड़ताल पर चले गए हैं। आयुध कारखाना बोर्ड (ओएफबी) के असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघों ने रविवार को कहा था कि आयुध कारखानों के निजीकरण को लेकर सरकार के फैसले के खिलाफ वे एक महीने की हड़ताल पर जायेंगे। आयुध कारखाना बोर्ड की 41 फैक्ट्रियों के असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले मान्यता प्राप्त तीन संघ भी 20 अगस्त से एक महीने की हड़ताल पर हैं।
कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार एक तरफ सेना को मजबूत करने के दावे कर रही है और दूसरी तरफ सुरक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की साजिश रच रही है।
क्या है विरोध की वजह?
ये कर्मचारी ओएफबी के कॉरपोरेटाइजेशन का विरोध कर रहे हैं। यह वर्तमान में भारत सरकार के अधीन है और इसे पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेस में बदलने का प्रस्ताव है। कर्मचारी कॉरपोरेटाइजेशन नहीं चाहते हैं। यूनियनों का कहना है कि उनसे इस मसले पर सलाह नहीं ली गई है।
ओएफबी के कर्मचारियों ने 20 अगस्त से हड़ताल पर जाने का नोटिस दिया था। जिसके बाद रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति ने ओएफबी अध्यक्ष सहित विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों से शुक्रवार को मुलाकात कर चर्चा की थी। इस बैठक में श्रम और रोजगार मंत्रालय के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
क्या कह रही है सरकार?
रक्षा मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार सरकार हालांकि इन कारखानों के निजीकरण पर कोई विचार नहीं कर रही है। विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘ओएफबी अध्यक्ष एवं आयुध कारखाना महानिदेशक, सौरभ कुमार ने दोहराया कि सरकार की ओर से इन कारखानों के निजीकरण की योजना नहीं है।’’
क्या करती है ऑर्डनेंस फैक्ट्री?
ऑर्डनेंस फैक्ट्री में तोपखाने, टैंक बंदूकें, राइफल, कार्बाइन, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर, सभी प्रकार के गोला-बारूद का निर्माण किया जाता है। ओएफबी टी -90 टैंक, अर्जुन टैंक, टी -72, बख्तरबंद कर्मियों के वाहक, नाइट विजन डिवाइस, वर्दी, पुल, नाव, विभिन्न प्रकार के पैराशूट, ट्रक और खदान संरक्षित वाहन बनाता है।