शाम को लेखिका और उनकी नई किताब के पाठ के नाम थी। लेकिन लेखिका की कलम ने महफिल जीत ली। किताब पर जितनी बात हुई, उससे कहीं ज्यादा लोगों का ध्यान खींचा लेखिका के लॉन्ग पेन ने। बुकर पुरस्कार से सम्मानित अंग्रेजी की सम्मानित लेखिका मार्गेट एटवुड के नई किताब द स्टोन मैटर का पाठ कनाडा उच्चायुक्त ने आयोजित किया था, जहां इस लॉन्ग पेन के नए एडिशन को लॉन्च किया। इस पेन से आप दुनिया के किसी भी हिस्से में अपने टैबलेट पर लिखे और आपका लिखा दुनिया के दूसरे हिस्से में हूबहू वैसे का वैसा पेन से लिखा हुआ उभर जाता है। बिल्कुल ऐसा जैसे आपने सीधे ही उस कलम से लिखा हो। वह अपनी एलसीडी स्क्रीन या टैबलेट पर इलेक्ट्रॉनिक कलम या जॉय स्टिक से लिखती है और दूर हराज रिमोट से जुड़ा बॉल पैन उसे उतारता है। इस तरह से उनकी किताब या कागज पर साधारण पैन वह उतारता है, जो वह मीलों या कई देशों की दूरी से अपने टच-स्क्रीन वाले टैबलेट पर लिखती हैं।
इससे लेखिका अपने हस्ताक्षर को दुनिया भर में कहीं भी जारी कर देती हैं। एक बार इस्तेमाल करने के बाद वह हस्ताक्षर या लिखा हुआ मिट जाता है, यानी कोई इसका गलत इस्तेमाल नहीं कर सकता।
आउटलुक की संवाददाता ने लेखिका से पूछा कि आखिर उन्हें ऐसी कलम की जरूरत क्यों पड़ी, तो मार्गेट एटवुड ने हंसते हुए बताया कि सिर्फ हस्ताक्षर करने के लिए एक देश से दूसरे देश तक का सफर करना बेहद थकाऊ और समय खाऊ होता था। अकसर प्रकाशकों की मांग होती थी कि किताब लॉन्च करने के लिए किताबों पर हस्ताक्षर करने के लिए लेखिका खुद वहां आए। इस झंझट से बचने के लिए उन्होंने और बाकी साथियों ने इस लॉन्ग पेन के बारे में सोचा। मैं न्यूयॉर्क में बैठकर लंदन में हस्ताक्षर कर लेती हूं। आखिर एक लेखक को कुछ आराम भी तो नसीब होना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इससे चेक पर भी साइन कर लेती तो उन्होंने हंसते हुए कहा, हां, हालांकि अगर यह उनके बैंकरों को पता चल जाए तो संकट हो जाएगा।
यह लॉन्ग पेन यानी लंबी कलम मार्गेट एटवुड लंबे समय से इस्तेमाल कर रही हैं और लगातार इसमें सुधार भी करती जा रही हैं। कनाडा में एक कंपनी बनाकर लेखिका मार्गेट ने इस पेन को इसलिए डिजाइन किया ताकि आलसी लेखकों को आराम फरमाने का लुत्फ मिल सके, नहीं तो उनकी जिंदगी हस्ताक्षर करने के लिए एक देश से दूसरे देश का सफर तय करने में ही खराब हो जाए। इसके लिए शायद जरूरी है लेखक का इतना लोकप्रिय होना कि उसे इतनी किताबों पर हस्ताक्षर करने की जरूरत पड़े, है न !